नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act 2019) के विरोध में पिछले कई दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इस दौरान राजधानी दिल्ली समेत कई शहरों में भयंकर हिंसा हुई। कई जगहों पर उपद्रवियों की भीड़ से तीखी झड़प भी हुई। हुड़दंगियों को काबू करने के लिए कई जगह पुलिस को लाठीचार्ज और Tear gas का इस्तेमाल किया गया। वहीं, गुरुवार को सेना प्रमुख बिपिन रावत ने भी बिल को लेकर कर के जैसे आगजनी की गई इस पर सख्त प्रतिक्रिया दी। अब इसको लेकर वे राजनेताओं के निशाने पर भी आ गए हैं।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आर्मी चीफ बिपिन रावत के लीडरशिप वाले बयान पर आपत्ति जताई है। बता दें कि रावत ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि भीड़ को दंगे के लिए भड़काना लीडरशिप नहीं है।
दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मैं जनरल साहब की बातों से सहमत हूं, लेकिन नेता वे नहीं हैं जो अपने अनुयायियों को सांप्रदायिक हिंसा के नरसंहार में लिप्त होने देते हैं। क्या आप मेरे से सहमत हैं जनरल साहेब?’
वहीं, ओवैसी ने कहा कि लीडरशिप का मतलब ये भी होता है कि लोग अपने ऑफिस की मर्यादा को न लांघे। ये नागरिक वर्चस्व के विचार को समझने और उस संस्था की अखंडता को संरक्षित करने के बारे में है, जिसका आप नेतृत्व करते हैं।
सेना प्रमुख ने गुरुवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, ‘नेता वे नहीं हैं जो हिंसा करने वाले लोगों का साथ देते हैं। छात्र विश्वविद्यालयों से निकलकर हिंसा पर उतर गए, लेकिन हिंसा भड़काना नेतृत्व करना नहीं है।’ उन्होंने कहा कि नेता वो नहीं है जो लोगों को अनुचित मार्ग दिखाए। हाल ही में हमने देखा कि कैसे बड़ी संख्या में छात्र कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से निकलकर आगजनी और हिंसा करने के लिए लोगों और भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे। हिंसा को भड़काना किसी तरह का कोई नेतृत्व नहीं कहलाता।
बिपिन रावत ने कहा था कि नेतृत्व क्षमता वह नहीं है जो लोगों को गलत दिशा में लेकर जाती हो। रावत ने कहा था कि लीडरशिप एक मुश्किल काम है। आपके पीछे लोगों की बड़ी संख्या होती है, जो आपके आगे बढ़ने पर साथ चलती है।