केंद्र और राज्य के टैक्स अधिकारियों ने फर्जी कंपनियों के इनपुट क्रेडिट टैक्स के दावों पर लगाम लगाने के लिए तुरंत फोटो और बायोमेट्रिक के इस्तेमाल से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का सुझाव दिया है। केंद्र सरकार जीएसटी रजिस्ट्रेशन में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए जल्द ही सख्त कदम उठा सकती है।
बिना आधार के रजिस्ट्रेशन करने पर करना होगा सत्यापन
जीएसटी काउंसिल की लॉ कमिटी ने यह सुझाव भी दिया है कि जो भी नए रजिस्ट्रेशन के लिए बिना आधार के रजिस्ट्रेशन का विकल्प चुनने पर अनिवार्य रूप से फिजीकल वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए। नए पंजीकरण के लिए आधार जैसी प्रक्रिया अपनाई जा सकती है, जिसके तहत तत्काल फोटो और बायोमेट्रिक के साथ ही दस्तावेजों के सत्यापन से नए रजिस्ट्रेशन किए जा सकते हैं।
जीएसटी सेवा केंद्रों पर मिल सकती है रजिस्ट्रेशन की सुविधा
ऐसी सुविधाएं बैंकों, डाकघरों और पासपोर्ट सेवा केंद्रों (पीएसके) या आधार सेवा केंद्रों की तरह ही जीएसटी सेवा केंद्रों (जीएसके) पर दी जा सकती हैं। जीएसके पासपोर्ट सेवा केंद्रों की तरह ही काम करेगा। जीएसके पासपोर्ट सेवा केंद्रों की तर्ज पर नए रजिस्ट्रेशन की सुविधा दे सकते हैं।
रजिस्ट्रेशन के लिए 60 दिनों तक का लग सकता है समय
कमेटी के सुझाव के अनुसार जो रजिस्ट्रेशन के समय आधार ऑथेंटिकेशन का ऑप्शन नहीं चुनते हैं, उन्हें भरोसे वाले दो करदाताओं के सिफारिश पत्र देने पड़ सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए दिए गए दस्तावेजों के आधार पर यदि रजिस्ट्रेशन भरोसेमंद श्रेणी में आता है, तो उसका 7 दिनों में रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। यदि रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने वाला भरोसेमंद श्रेणी में नहीं आता है, तो उसका रजिस्ट्रेशन कुछ शर्तों के साथ 60 दिनों में किया जाएगा।
अब तक 48 लोगों को किया गिरफ्तार
जीएसटी में लगातार हो रही धोखाधड़ी पर लगाम कसने के लिए अब तक 48 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें एक महिला और 3 चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) भी शामिल हैं। पिछले 10 दिनों में 2,385 फर्जी संस्थाओं की पहचान करने के अलावा 648 मामले दर्ज किए हैं।
2018-19 और 2019-20 में लगभग 35,000 डीलर ऐसे थे, जिन्हें 50 लाख रुपए (सालाना) से अधिक की जीएसटी देयता थी, लेकिन 99 % से अधिक टैक्स का भुगतान इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के माध्यम से किया गया था। इसके अलावा इनमें से किसी भी फार्म में बीते 3 सालों में इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है। सरकार इस तरह की धोखाधड़ी पर अब लगाम लगाने वाली है।
क्या है इनपुट क्रेडिट टैक्स?
इनपुट क्रेडिट का मतलब है माल के खरीद के समय चुकाया गया कर और आउटपुट पर टैक्स देने के समय, आप अपने इनपुट टैक्स से एडजस्ट कर सकते हैं जो आपने माल खरीदते समय पहले से चुकाया है। पक्के बिल से जो माल खरीदा जाता है उस पर लगा जो टैक्स देय होता है, उसी पर आपको जीएसटी रिटर्न भरने से इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलता है।
उदाहरण से समझें: मान लीजिए आपने 100 रुपए का कोई कच्चा माल, सामान बनाने के लिए खरीदा। इस पर 18% यानी 18 रुपए का टैक्स लगेगा, इस हिसाब से यह रकम 118 हो गई। आपने 118 रुपए का पक्का बिल सेलर से ले लिया। मतलब आपने 18 रुपए का जीएसटी जमा कर दिया। अब अगर आप 100 रुपए का माल 150 रुपए में बेचेंगे तो 18% के हिसाब से आपके माल पर 27 रुपए का टैक्स बनेगा। तो वो ग्राहक 177 रुपए की रिसिप्ट लेगा जिसमें से 27 रुपए का जीएसटी लगा हुआ होगा। ऐसे में रिटर्न फाइलिंग के दौरान आपकी 9 रुपए की टैक्स देनदारी बनेगी, ऐसे में आपको 18 रुपए का इनपुट क्रेडिट मिलेगा क्योंकि आप इसका भुगतान माल खरीदते वक्त कर चुके हैं।