मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक समेत कई कर्जदाता अब होम लोन को रीस्ट्रक्चर करने की सोच रहे हैं, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक के मोराटोरियम के बावजूद होम लोन की अवधि दो साल से अधिक नहीं बढ़ी है। बैंक जिन विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, उनमें कुछ महीनों की ईएमआई में मोहलत देना भी शामिल है। ऐसा भी किए जाने पर विचार हो रहा है कि कुछ ईएमआई को आगे बढ़ा दिया जाए।
ये सुविधा उन मामलों में मिलेगी, जिनमें कोरोना की वजह से अगर नौकरी का संकट आ गया हो, या फिर सैलरी कट रही होगी। सूत्रों के अनुसार केवी कामत कमेटी रिटेल और होम लोन रीस्ट्रक्चरिंग को नहीं देखेगी। परेशानी से जूझ रहे कर्जदारों की संख्या के आधार पर बैंक खुद ही एक प्रस्ताव तैयार करेंगे, जिसे वह अगले महीने अपने बोर्ड को भेजेंगे।
बैंक खुद भी लोन रीस्ट्रक्चर करना चाहते हैं, ताकि डिफॉल्टर्स ना बढ़ें और बैंक का एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग असेट भी ना बढ़े। इतना ही नहीं, बैंकों का ये भी कहना है कि जबरन वसूली और संपत्ति सीज करने के लिए ये वक्त सही नहीं है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को दो साल तक के लिए कर्ज की सीमा बढ़ाने की सुविधा दी है, लेकिन बैंकर्स का कहना है कि वह 2 साल का मोराटोरियम नहीं दे सकते हैं।
मोराटोरियम से हो रहा ये नुकसान
अगर किसी ने 15 साल का होम लोन लिया हुआ है और उसने भारतीय रिजर्व बैंक की मोराटोरियम सुविधा का इस्तेमाल किया है तो उसका लोन अपने आप ही 14 महीनों के लिए बढ़ जाएगा। ऐसे में कुछ ईएमआई बढ़ाने की बात करें तो अधिकतर बैंक ऐसा कर देंगे, लेकिन ग्राहकों को राहत इस बात पर निर्भर करेगी कि वह कितने ब्याज का भुगतान कर रहे हैं। होम लोन की दरें 7 फीसदी से भी कम हो चुकी हैं और ऐसे में बैंक कह रहे हैं कि लोन रीस्ट्रक्चर कर के बेस्ट ब्याज दर मुहैया कराना मुमकिन नहीं होगा। ऐसा करने के लिए रीस्ट्रक्चर्ड लोन पर 10 फीसदी का अतिरिक्त प्रोविजन करना होगा, जिससे बैंक की कॉस्ट करीब 30 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ जाएगी।