सिद्धार्थ नगर । डुमरियागंज के उपनगर हल्लौर लाक डाउन का पालन करते हुए शमीम अहमद के घर पर मजलिस का आयोजन किया गया सबसे पहले मर्सिया खानी शाहिद आलम ने पढ़ा उसके बाद मजलिस को जाकिरे अहलेबैत जमाल हैदर करबलाई ने पढा उन्होंने कहा कि नाना के दीन की इसलाह के लिए हुसैन अस ने घर को छोडा और अपने गोद के पालो को दीन पर कुर्बान कर दिया अगर हुसैन अस ना होते तो दीन की तस्वीर कुछ और होती इमाम हुसैन अस के बताए हुए रास्ते पर जो चलता है वो कामियाब् रहता है इमाम हुसैन अस से जिसने भी दगा किया वो पामाल हो गया चाहे वो यजीद हो या आज का ज़ाकिर नायक हो । फिर उसके बाद मसाएंब पढ़ा कि कर्बला में किस तरह एक बूढ़े बाप ने जवान बेटे की लाश उठाई और भतीजे कासिम के जिस्म के टुकड़ों को कपड़े में लपेट कर लाए मजलूम हुसैन ने कर्बला में कितने गम सहे लेकिन दीन इस्लाम को बचाया ।
मजलिस के बाद मोजिज हल्लारी ने नोहा पढ़ा उसके बाद खुलूस हल्लौरी ने कलाम पढ़ा उसके बाद अकबर अली मुंबई ने अपना कलाम पढ़ा । उसके बाद आलम हॉलौरी सरफराज रिज़वी आमिर रिज़वी शिजान रिज़वी हल्लॉरी ने अपने कलाम पढ़े मजलिस का संचालन मोजीज़ मौलाई ने किया।