इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग के प्रमुख नवाज शरीफ के भाषणों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। पाकिस्तानी मीडिया द डॉन ने इस बात की जानकारी दी है। याचिका में बताया गया है कि नवाज शरीफ सक्रिय रूप से राजनीति में भागीदारी ले रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि नवाज शरीफ ने अपने कैंपेन और भाषणों में राज्य के संस्थानों के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील की है कि वो हाल ही में नवाज शरीफ की ओर से दिए गए भड़काऊ भाषण को इंटरनेट से हटाने के निर्देश दे और नवाज शरीफ की ओर से भविष्य में भाषण देने पर रोक लगे।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी राजनैतिक मामले में हाईकोर्ट के संवैधानिक क्षेत्राधिकार का आह्वान करना जनता के हित में नहीं है। खासकर तब जब उस मसले को सुलझाने के लिए दूसरे विकल्प को अपनाया जा सकता है। फैसले में कहा गया कि पाकिस्तान के लोगों ने जिसको अपना प्रतिनिधित्व माना है, वो पाकिस्तान की सुरक्षा का ध्यान रखेंगे।
फैसले में कहा गया कि पाकिस्तान की सुरक्षा हाईकोर्ट के जरिए जारी किए किसी रिट पर निर्भर नहीं हो सकती। फैसले में जानकारी दी गई है कि याचिकाकर्ता ने देश की सुरक्षा के प्रति अपनी चिंता जाहिर की है। हालांकि कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।
फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि पाकिस्तान की सुरक्षा इतनी दुर्बल नहीं है कि महज राजनैतिक बयानबाजी से खतरे में पड़ सके। बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ लंदन में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। एफआईआर में कहा गया है कि नवाज शरीफ ने अपने भाषण में देश के संस्थानों को बदनाम करने की कोशिश की है।
एक अक्तूबर को नवाज शरीफ के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। करीब एक महीने से पाकिस्तान की सरकार पूर्व मुख्यमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ अरेस्ट वारंट निकालने का प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए लेकिन सफलता मिलती नजर नहीं आ रही है।