आगरा। 16 दिसंबर 2012 में देश को झकझोर देने वाले निर्भया कांड की लपटें आज भी देशवासियों के दिलों में धधक रही हैं। अब जब जघन्य कांड को अंजाम देने वाले दोषियों के अंतिम अंजाम का समय करीब आ रहा है तब देश का खून एक बार फिर खौल रहा है। हर कोई दोषियों को अपनी तरह से सजा देना चाहते है। यहां तक की ममता की मूर्ति कहे जाने वाली महिलाएं भी अपने दयाभाव को त्याग दोषियों को जल्लाद बन फांसी अपने हाथों से देना चाहती है्ं।
निर्भया कांड के दोषियों को अपने हाथों फांसी देने की मांग रखते हुए आगरा की महिलाओं ने राष्ट्रपति के नाम अपने खून से ज्ञापन भेजा है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष मीना दिवाकर ने राष्ट्रपति के नाम खून से पत्र लिखा है। महिला मोर्चा की सदस्याओं ने कलक्ट्रेट पहुंच कर प्रदर्शन किया और दोषियों को फांसी देने के लिए जल्लाद बनने की मांग रखी। खूूून से लिखा ज्ञापन जिलाधिकारी को सदस्याओं ने सौंपा। महिलाओं ने मांग रखी कि दोषियों को उनके हवाले कर दिया जाए। वे स्वयं अपने हाथों से दोषियों के लगे में फांसी का फंदा लटकाना चाहती हैं। इसके लिए वे निश्शुल्क जल्लाद बनने के लिए तैयार हैं।
दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इसके अलावा पीड़िता को चलती बस से फेंक दिया था। इस दौरान पीड़िता को गंभीर चोटें आयी थी। सिंगापुर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। तीन दोषियों मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट पिछले साल 9 जुलाई को खारिज कर चुका है। दोषी अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच करेगी। मामले की सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। इससे पहले 10 दिसंबर को अक्षय के वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर फांसी की सजा को चुनौती दी थी।