नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वीजा मानदंडों के कथित उल्लंघन के लिए आपराधिक मामलों का सामना कर रहे तब्लीगी जमात के 13 विदेशी सदस्यों की याचिका पर बिहार सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में मांग की गई है कि बिहार में कई अदालतों में उनके खिलाफ चल रहे मामलों का एक ही कोर्ट में ट्रायल हो। जस्टिस ए एम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की एक पीठ ने राज्य सरकार से याचिका पर जवाब देने को कहा और मामले को सोमवार को सुनवाई के लिए टाल दी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई सुनवाई में पीठ ने सुझाव दिया कि इन 13 जमातियों के खिलाफ मुकदमा पटना की एक अदालत के समक्ष चलाया जा सकता है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इसे लेकर कोई आपत्ति नहीं है और मुकदमा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में साकेत की एक अदालत ऐसे सभी मामलों की सुनवाई कर रही है। इसी तरह बिहार में भी सुनवाई हो सकती है।
इससे पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि तब्लीगी जमात की गतिविधियों में कथित रूप से शामिल होने के कारण 35 देशों के नागरिकों को काली सूची में रखने के सरकार के आदेश को चुनौती देने वाले कुछ विदेशी नागिरकों की तलाश में जारी नोटिस वापस ले लिए गए हैं। सालिसीटर जनरल ने कहा था कि ऐसे नागरिक देश से जाने के लिए आजाद हैं, बशर्ते उनके खिलाफ अदालत में उपस्थित होने के आदेश समेत कोई अन्य कार्यवाही लंबित नहीं होनी चाहिए।
सालिसीटर जनरल ने यह भी कहा कि अगर संबंधित याचिकाकर्ता मद्रास उच्च न्यायालय के संबंधित आपराधिक मामले में दी गयी व्यवस्था के अनुरूप माफी मांगलेते हैं, तो संबंधित निचली अदालत में इसे लेकर आदेश पारित होने पर आपराधिक मामला लंबित होने के बावजूद उन्हें भारत से जाने की अनुमति दी जा सकती है। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा था कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 11 राज्यों द्वारा तब्लीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ 205 एफआइआर दर्ज की गई हैं और 2,765 ऐसे विदेशियों को अब तक ब्लैकलिस्ट किया गया है। इनमें से 2,679 विदेशियों (भारत के 9 ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया(OCI) कार्ड धारकों सहित) के वीजा रद कर दिए गए हैं। इसके आलावा बाकी 86 सदस्यों में नेपाली नागरिक शामिल हैं जिन्हें वीजा की आवश्यकता नहीं है।