नई दिल्ली। कर्नाटक उपचुनाव के नतीजों में बड़ी जीत मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा के लिए तो राहत है ही, महाराष्ट्र की घटना से असहज भाजपा के मनोबल को भी बढ़ा गई है। दरअसल, सोमवार को आए फैसले में भाजपा ने पहली बार देवेगौड़ा और वोकालिग्गा के गढ़ केआर पेटा मे भी जीत दर्ज कर यह जता दिया है कि भाजपा नामुमकिन को मुमकिन कर सकती है।
कर्नाटक में तो इस जीत को अमेठी और पश्चिम बंगाल की जीत के बराबर देखा ही जा रहा है, तीसरे दौर में पहुंचे झारखंड के भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए भी यह उत्साहवर्द्धक हो सकता है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री ने झारखंड के चुनावी दौरे में इसका उल्लेख किया कि कर्नाटक में कांग्रेस ने जनादेश चोरी कर ली थी और अब जनता से संदेश दे दिया है।
कर्नाटक में जिन 15 सीटों पर उपचुनाव हुए उसमें से 12 भाजपा ने झटक लिए हैं। जबकि कांग्रेस दो और एक निर्दलीय ने बाजी मारी है। सच्चाई यह है कि कांग्रेस ने 11 सीटें गंवाई है क्योंकि जिन 13 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं उसमें से 13 पर कांग्रेस ने ही पिछली बार जीत हासिल की थी। जबकि जदएस खाली हाथ रह गया। बहुमत के लिए भाजपा को फिलहाल सिर्फ सात सीटें चाहिए थीं। पर जो सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है वह कांग्रेस-जदएस के मजबूत मैसूर क्षेत्र का केआर पेटा है।
मुख्यमंत्री वीएस येद्दयुरप्पा का जन्मस्थान रहे केआर पेटा की जीत ने येद्दयुरप्पा को तो मजबूत किया ही, उनके छोटे पुत्र विजयेंद्र को भी स्थापित कर दिया है। ध्यान रहे कि लोकसभा चुनाव के वक्त विजयेंद्र को टिकट नहीं मिला था। इस बार उपचुनाव में केआर पेटा जैसे मुश्किल सीट की जिम्मेदारी विजयेंद्र ने अपने कंधे पर ली थी। जाहिर है कि इस जीत ने उनकी रणनीतिक कुशलता को स्थापित कर दिया। यह उनके लिए आगे की राह आसान कर सकता है। खुद येद्दयरप्पा की बात की जाए तो इस बड़ी जीत के सहारे उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की है कि फिलहाल प्रदेश भाजपा में उनका कोई विकल्प नहीं है।
इस जीत का राष्ट्रीय महत्व कितना है इसका संकेत खुद प्रधानमंत्री ने झारखंड में दे दिया। उन्होंने इस जीत का उल्लेख किया और कहा कि स्थायित्व और विकास सिर्फ भाजपा सरकारें दे सकती हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के दिग्गजों को जनता ने धूल चटा दी है। कर्नाटक की जनता ने भाजपा लिए प्रचंड जीत सुनिश्चित की है। कर्नाटक उपचुनाव में कई सीटें ऐसी थीं, जहां भाजपा आजादी के बाद कभी चुनाव नहीं जीती थी। वहां हमारी उपस्थिति बहुत कम थी। वहां भी जनता ने विजय ध्वज भाजपा के हाथ में दे दिया। दरअसल, 81 सीटों वाले झारखंड में अभी तीन चरण के मतदान होने हैं। खासकर तीसरे और चौथे चरण को भाजपा के लिए अहम माना जा रहा है। ऐसे में कर्नाटक की जीत मनोबल बढ़ाने का काम कर सकती है।