स्वस्थ शरीर, निरोगी काया। मतलब साफ है। स्वस्थ रहना है तो रोगों से दूर रहने के तरीके अपनाने होंगे। सावधानियां रखनी होंगी। जरा सी लापरवाही आपकी सेहत बिगाड़ सकती है। खासकर बदलते मौसम में अधिक सचेत रहने की जरूरत है। आने वाला समय मौसम परिवर्तन का ही है। फिर दीपावली भी निकट है। आतिशबाजी का प्रदूषण कम नहीं होता। एेसे में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है।
चिंता की बात यह है कि हर साल अस्थमा के रोगी बढ़ रहे हैं। यह रोग किसी को भी हो सकता है। चाहे बच्चे हों या वृद्ध। इस रोग से फेफड़े प्रभावित होते हैं, जिसके चलते सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। एक बार यदि यह रोग हो गया तो हमेशा शिकायत बनी रहती है। इलाज से शिकायत कम हो सकती है, लेकिन इलाज के साथ सचेत रहना बहुत जरूरी है। मौसम बदलाव के अलावा भी अस्थमा के कई कारण होते हैं। किसी चीज से एलर्जी होने पर अस्थमा की शिकायत हो सकती है। जैसे धूल-मिट्टी, किसी खाद्य पदार्थ। मौसम बदलने के साथ भी अस्थमा होने का खतरा रहता है। कभी-कभी सर्दी लगने, तेज हंसने या चलने से भी अस्थमा की शिकायत हो जाती है। कई लोगों को एक्सरसाइज या फिर अधिक शारीरिक सक्रियता के कारण अस्थमा हो जाता है तो कई लोगों को क्षमता से अधिक काम करने पर भी अस्थमा की शिकायत हो जाती है। इसका एक कारण कफ भी होता है। स्वास्थ्य संबंधी कोई बीमारी जैसे निमोनिया, कार्डियक जैसी बीमारियां होती हैं तो मिमिक अस्थमा हो सकता है। आमतौर पर मिमिक अस्थमा तबियत अधिक खराब होने पर होता है।