लखनऊ। दो महीने आठ दिन तक चले गम के सिलसिले का आज समापन हो गया कर्बला मे यज़ीदी फौज द्वारा बर्बर तरीके से शहीद किए गए नवासे रसूल हज़रत इमाम हुसैन अ0स0 और उनके 71 साथियो के गम के सिलसिले मे बुद्धवार की सुबह लखनऊ मे परम्परागत तरीके से चुप ताज़िये का जुलूस निकाला गया। जुलूस बुद्धवार की सुबह तड़के बजाज़ा थित नाज़िम साहब के इमाम बाड़े से निकाला गया चुप ताज़िये का जुलूस अक्बरीगेट नख्खास बिल्लौचपुरा चैराहे से मुड़ कर गिरधारा सिंह इन्टर कालेज मंसूर नगर होता हुआ रौज़ा-ए-काज़मैन शान्ती पूर्ण महौल मे सम्पन्न हो गया। जुलूस से पहले इमाम बाड़ा नाज़िम साहब मे मौलाना डाॅक्टर यासूब अब्बास ने मजलिस पढ़ी जिसमे उन्होने कर्बला मे शहीद हुए मासूमीन की शहादत का मंज़र बयान किया। मजलिस के बाद ग़मज़दा अज़ादार चुप ताज़िए का जुलूस लेकर रौजा-ए-काज़मैन के लिए रवाना हो गए। सुबह के समय निकाले गए इस अलविदाई जुलूस मे भारी सख्या मे अकीदतमंद अज़ादारो ने शिरकत कर हज़रत इमाम हुसैन और उनके 71 साथियो को पुरसा दिया। अकीदतमंद अज़ादारो ने चुप ताज़िए को रौज़ा-ए-काज़मैन मे सुपुर्द-ए-खाक कर दिया। हज़रत इमाम हुसैन अ0स0 की याद मे हर वर्ष दो महीने आठ दिन तक शिया समुदाय के लोग गम मनाते है मोहर्रम का महीना शुरू होने के बाद लखनऊ मे पहली मोहर्रम को बड़े इमाम बाड़े से छोटे इमाम बाड़े तक शाही ज़रीह का जुलूस सात मोहर्रम को शाही मेंहदी का जुलूस आठ मोहर्रम को दरिया वाली मस्जिद से अलम फातेह फुरात का जुलूस नौ मोहर्रम को शब-ए-आशूर का जलूस दस मोहर्रम को नाज़िम साहब के इमाम बाड़े से यौमे आशूर का जुलूस निकाला जाता है। इसके अलावा आशूर के जूलूस के चालीसवे दिन चेहल्लुम और 8 रबि उल अव्वल की सुबह चुप ताज़िए का जुलूस निकाला जाता है ये सभी जुलूस वर्ष 1999 मे शिया सुन्नी और प्रशासन के बीच हुए मुहायदे के तहत निकाले जाते है । मुहायदे मे शिया समुदाय को नौ और सुन्नी समुदाय को एक यानि जुलूसे मदहे सहाबा निकालने की इज़ाज़त दी गई है। चुप ताज़िए के जुलूस के समापन के बाद 2 महीने आठ दिन चलने वाला गम का सिलसिला समाप्त हो गया इन 2 महीने आठ दिन मे जुलूसो के अलावा बड़े पैमाने पर मजलिसो के आयोजन भी होते है। आठवी के जुलूस के बाद रौज़ा-ए-काज़मैन मे देर रात तक महफिलो का दौर भी चलेगा जिसमे अकीदत मंद भारी सख्या मे शिरकत करेंगे। इस दौान एसएसपी कलानिधि नैथानी ने पूरे जुलूस मार्ग पर सुरक्षा के पुख्ता इन्तिज़ाम किए थे । चुप ताज़िए के जुलूस से चहले सेतु निगम द्वारा जुलूस के रास्ते पर फैली पुल निर्माण की समग्री को भी व्यवस्थित कर दिया गया था ताकि जुलूस मे शामिल लोगो को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।