लखनऊ। जामिया इमामिया तनज़ीमुल मकातिब की ओर से बानी ए तनज़ीमुल मकातिब हॉल में हर गुरुवार की तरह जामिया इमामिया के छात्रों के लिए दर्से अख्लाक आयोजन किया गया। जिसमें हौज़े इमामिया हज़रत गुफरानमाब के प्रिंसिपल मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने छात्रों को दर्स दिया।
मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हर इंसान सफल होना चाहता है लेकिन सफलता कुछ ही लोगों को मिल पाती है यह सफलता कैसे प्राप्त होगी? पवित्र कुरआन के सूरह फुस्सेलत आयत 30, सूरह अहकाफ आयत 13, सूरह जिन आयत 16 में अल्लाह ने दृढ़ता को सफलता का साधन बताया है। यानी कैसी भी परिस्थितियां हों लोगों को अपने विश्वास पर दृढ़ रहना चाहिए।
मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने कहा कि सफलता के सिद्धांतों में से एक आत्म-जागरूकता है यानी इंसान ख़ुद को पहचाने। जिसके नीचे निम्न बातें आवश्यक हैं। अपने शरीर और उसकी ताकत से परिचित हों, अपनी मनोदशा और मनोविज्ञान को पहचानता हो। मसलन जानता हो कि उसके मानस में स्वाभिमान समाया हुआ है, वह चापलूसी नहीं कर सकता, गलत को बर्दाश्त नहीं कर सकता। अल्लाह ने उसे जो नेमतें जैसे स्वास्थ्य, युवावस्था आदि दी हैं उसे पहचानता हो, मनुष्य अपने अधिकारों के जानता हो इस संबंध में उसकी क्या उत्तरदायित्व हैं उन्हें भी जानता हो, मनुष्य अपनी विशेष योग्यताओं, कमियों और मूल्यों को पहचानता हो, नकारात्मक विचारों को पहचाने और उनसे दूर रहे।
अंत में मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स०अ० की इल्मी सीरत के कुछ पहलुओं की ओर इशारा किया और शहज़ादी कौनैन के मसाएब बयान किए।