नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने रेपो रेट में 0.40% की कटौती करने का ऐलान किया। लिहाजा अब रेपो रेट 4.40% से घटकर 4% हो जाएगा। वहीं, रिवर्स रेपो रेट 3.75% से घटाकर 3.35% किया गया। लोन की किश्त चुकाने में छूट का समय 3 महीने और बढ़ाया, अगस्त तक फायदा मिलता रहेगा।
आरबीआई गवर्नर ने यह भी बताया कि मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के 6 में से 5 सदस्यों ने रेपो रेट घटाने के पक्ष में वोट दिया। कमेटी की बैठक 3 जून से होनी थी, लेकिन पहले ही कर ली गई।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दर में 0.40 प्रतिशत कटौती के पक्ष में 5:1 से मतदान किया। कोरोना वायरस के बढ़ते संकट की वजह से समिति की एक विशेष बैठक बुलाई गई। इसमें बहुमत के आधार पर लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि समिति ने कोरोना वायरस की वजह से देश और दुनिया के हालात की समीक्षा की है।
क्या है रिवर्स रेपो रेट?
दिनभर के कामकाज के बाद बैंकों के पास जो रकम रकम बच जाती है उसे भारतीय रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर रिजर्व बैंक उन्हें ब्याज देता है। भारतीय रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है।
रिवर्स रेपो रेट में कटौती से क्या फायदा?
रिवर्स रेपो रेट में कमी का मतलब है कि बैंकों को अपना अतिरिक्त पैसा रिजर्व बैंक के पास जमा कराने पर कम ब्याज मिलेगा। बैंक अपनी नकदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखने को कम इच्छुक होंगे। इससे उनके पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी। बैंक अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को अधिक कर्ज देने को प्रोत्साहित होंगे। बैंक अपने अतिरिक्त धन को रिजर्व बैंक के पास जमा कराने की बजाय लोन के बांटकर अधिक ब्याज कमाने पर जोर देंगे। बैंक लोन पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं।