लखनऊ। सीएम से लेकर स्वास्थ्य मंत्रियों व अधिकारियों के अस्पतालों में निरीक्षण भी बेअसर साबित हो रहे हैं। लोहिया संस्थान के बाद केजीएमयू में भी इनके निर्देशों की अवहेलना हो रही है। केजीएमयू में परिजनों के हाथ जोड़ने के बाद भी डॉक्टर नहीं सुने। यहां तक कि मासूम की मौत के बाद यह कहकर परिजनों को बाहर कर दिया गया कि आपके बच्चे की मौत हो गई है। अब हम कुछ नहीं कर सकते। इसके बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था।
अलीगंज निवासी चार माह के मासूम मोहम्मद जैन जन्म से सिर में ब्लड जमा हुआ था। बीती देर रात उसकी हालत गंभीर होने पर उसे परिजन उसको किसी निजी अस्पताल ले गए लेकिन वहां उसको भर्ती करने से मना कर दिया गया। मासूम मोहम्मद जैन के मामा इरफान ने बताया कि हम करीब देर रात करीब 1.30 बजे बच्चे को लेकर केजीएमयू पहुंचे। बच्चे को तो ट्रॉमा के पीडियाट्रिक विभाग में भर्ती कर लिया गया लेकिन पांच घंटे तक उसको कोई डॉक्टर ही नहीं देखने आया। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर बगल के कमरे में सो रहे थे। बच्चे की हालत पहले से और गंभीर होने लगी।
मामा इरफान के मुताबिक, उसने इस दौरान डॉक्टरों के हाथ जोड़े लेकिन उनपर इसका कोई असर नहीं हुआ हांलाकि एक कर्मचारी ने बच्चे को दो इंजेक्शन लगा दिए जिसके बाद बच्चे के स्कीन से खून निकलने लगा। इसके बाद कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। इरफान का कहना है कि बच्चे की मौत के बाद हम लोगों को विभाग से यह कहकर बाहर कर दिया गया कि आपका बच्चा मर चुका है। अब हम कुछ नहीं कर सकते।
सुबह करीब 10 बजे ट्रॉमा के बाहर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। रोने की आवाज सुनकर आस-पास के लोग भी जुट गए। हांलाकि परिजन मासूम के शव को लेकर वापस चले गए। इस संबन्ध में केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि उन्हें इस पूरे मामले की कोई जानकारी नहीं है।