लखनऊ। केजीएमयू में कोरोना संक्रमित उरई के डॉक्टर को प्लाज्मा थेरेपी से उपचार किया जा रहा है। थेरेपी के बाद डॉक्टर की तबीयत स्थिर बनी हुई है। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। हांलाकि ब्लड प्रेशर, पल्स समेत दूसरे मानक कुछ हद तक नियंत्रण में हैं।
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि डॉक्टर का शरीर अब कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी भी तैयार करने लगा है। बीती रात डॉक्टर की हालत गंभीर हो गई। ऑक्सीजन का स्तर लगातार गड़बड़ा रहा था। उरई के डॉक्टर का ग्रुप ओ पॉजिटिव था। इसी दौरान राजधानी की पहली कोरोना मरीज के रूप में सामने आई कनाड़ा की महिला डॉक्टर ने रविवार को प्लाज्मा दान किया था। महिला डॉक्टर का ब्लड ग्रुप ओ पॉजटिव है। बीती रात उसका प्लाज्मा चढ़ाया गया। उसके बाद मरीज की तबीयत स्थिर हुई है। केजीएमयू कुलपति ने संस्थान में पहली बार प्लाज्मा थेरेपी दिए जाने पर बधाई दिया है।
केजीएमयू की ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक तीन कोरोना विजेताओं ने प्लाज्मा दान किया है। बाकी कई मरीजों से प्लाज्मा दान करने की बात चल रही है। यही नहीं दूसरे मेडिकल संस्थानों से ठीक होकर घर जा चुके लोगों से भी प्लाज्मा दान करने की अपील की गई है। कोरोना पर जीत हासिल करने वाले लोग 3 सप्ताह बाद प्लाज्मा दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जब मरीज कोरोना वायरस से हारने लगता है। दवाएं ठीक से काम नहीं करती हैं तो प्लाज्मा थेरेपी संजीवनी की तरह असर करती है। कोरोना को हरा चुके व्यक्ति का प्लाज्मा जब मरीज को चढ़ता है तो उसमें वायरस से लड़ने की ताकत बढ़ जाती है।
पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश का कहना है कि शरीर में कोई भी संक्रमण वायरस, बैक्टीरिया या फिर घातक रसायन से होता है। इसे इम्यूनोलॉजी विज्ञान में एंटीजन कहते हैं। इनके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता तैयार करने के लिए शरीर एंटीबॉडी तैयार करता है। जो कि प्लाज्मा में होती है। इसमें पांच तरह की एंटीबॉडी होती है। आईजीजी, आईजीएम, आईजीई, आईजीबी और आईजीए। ये वाई के आकार का होता है। वाई की ऊपर की दोनों हिस्सों में खास क्रम में न्यूक्लिक एसिड होते हैं। यही क्रम एंटीबॉडी को विशिष्ठ बनाते हैं। जो वायरस पर सीधे वार करते हैं।
प्लाज्मा थेरेपी से इलाज करने वाला पहला राज्य बना यूपी
केजीएमयू कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने कहा कि केजीएमयू में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों को बेहतर व आधुनिक इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। दवाओं के साथ प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत भी कर दी है। देश में ऐसा करने वाला यूपी पहला राज्य है, जिसमें प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों का इलाज चालू किया गया है। 58 वर्षीय डॉक्टर में प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग सफल है। सोमवार को कुलपति ने ऑनलाइन प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी। कुलपति ने कोरोना को हराने वालों से प्लाज्मा दान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा देने से शरीर को कोई नुकसान नहीं होगा। बल्कि गंभीर कोरोना पीड़ितों की जान बचाई जा सकती है। प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों के इलाज में सफलता मिलने पर केजीएमयू सूबे के अन्य मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों को प्रशिक्षण देगा।