अयोध्या में राम मंदिर की नींव खुदाई और ढलाई का काम पूरा हो चुका है। अब नींव के 12 टेस्ट पिलर्स की जांच एक महीने बाद आईआईटी रुड़की की इंजीनियरिंग टीम आकर करेगी। 15 अक्टूबर से मूल मंदिर के 1200 पिलर को तैयार करने का काम शुरू होगा। इसे तैयार करने में 9 महीने लग सकते हैं। पत्थरों का काम जून 2021 से शुरू हो जाएगा।
पिलर तैयार करने के बाद इसकी मजबूती और लोड बर्दाश्त करने की टेस्टिंग, तकनीकी टीम करेगी। इसमें तीन से चार महीने लग सकते हैं। इसके बाद हमारी टीम काम शुरू करेगी।मंदिर निर्माण की प्राचीन पद्धति से ही राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर जिस तकनीक से खजुराहो के मंदिर बने हैं।
मंदिर की मजबूती एक हजार साल बनी रहे, इसके मद्देनजर इसे भूकंप-रोधी बनाने के लिए पत्थरों की जुड़ाई में दो पत्थरों के बीच तांबे की पट्टी रखकर इसे मजबूत सीमेंट अथवा चूने के मसाले से भरकर जोड़ा जाएगा। यही प्रक्रिया पूरे मंदिर के पत्थरों की जुड़ाई में अपनाई जाएगी।
पत्थरों की जुड़ाई में सबसे जरूरी होता है कि भूकंप आने पर पत्थर खिसके नहीं। ऐसे में मंदिर के स्तंभों के पत्थरों को तराशने में विशेष डिजाइन का प्रयोग किया गया है। एक पत्थर में बीच में गोल छेद व दूसरे में उसी नाप की राड तराशी गई है। दोनों को फिट करके मजबूत चूने अथवा सीमेंट के मसाले से भर दिया जाएगा।
करीब डेढ़ सौ कारीगर लगेंगे। काम जल्दी पूरा करने के लिए एलएंडटी की लिफ्टर मशीनों का भी उपयोग किया जाएगा, जो भारी पत्थरों को ऊपर तक ले जाएंगी।
करीब डेढ़ लाख घन फीट पत्थर तैयार हैं। 9 महीने में इनकी जुड़ाई का काम हम पूरा कर लेंगे। मंदिर के फर्स्ट व सेकंड फ्लोर के लिए डेढ़ लाख घनफीट और पत्थरों की जरूरत पड़ेगी। जिसे तेजी से तराशने के लिए कई वेंडरों को काम सौंपा जाएगा। नहीं तो 9 माह बाद पत्थरों की जुड़ाई का काम रुक जाएगा। नींव के 1200 पिलर्स के ऊपर पत्थरों का बेस तैयार होगा। फर्श मार्बल की बनेगी। इसी पर श्रद्धालु मंदिर में परिक्रमा व भ्रमण कर सकेंगे।