नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कृषि क्षेत्र के दम पर अर्थव्यवस्था में तेजी लौटेगी और इसके ‘हरे कोपले’ दिख रहे हैं। मंत्रालय ने कहा है कि कृषि उत्पाद में खरीद, खाद बिक्री, ऊर्जा मांग, माल आवाजाही, डिजिटल ट्रांसजेक्शन और विदेशी मुद्रा आमदनी में वृद्धि से ये संकेत मिल रहे हैं।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव है। सामान्य मॉनसून अर्थव्यवस्था के लिए मददगार होगा। सरकारी एजेंसियों ने 16 जून तक किसानों से रिकॉर्ड 382 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद की है। यह 2012-13 की रिकॉर्ड खरीद से अधिक है। इसे कोविड-19 की महामारी की चुनौती और सोशल डिस्टेंशिंग के प्रतिबंधों के बीच अंजाम दिया गया है। 42 लाख किसानों को एमएसपी के रूप में कुल 73,500 करोड़ रुपए दिए गए हैं।”
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि खादों की बिक्री भी कृषि क्षेत्र का एक संकेतक है। मई 2020 में पिछले साल के मुकाबले 98 फीसदी की तेजी के साथ 40.02 लाख टन खाद बिक्री हुई है। इससे कृषि क्षेत्र की मजबूती का पता चलता है। वित्त मंत्रालय ने कहा, ”यद्यपि जीडीपी में भले ही इस क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान (इंडस्ट्री और सर्विसेज की तुलना में) ना हो, लेकिन इसमें वृद्धि का सकारात्मक प्रभाव बड़ी आबादी पर पड़ता है, जोकि खेती पर निर्भर है।”
ताजा आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत की जीडीपी 1019-20 में 4.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी, जोकि 11 साल में सबसे कम वृद्धि दर है। निवेश और मांग में कमी की वजह से नतीजे खराब रहे हैं। पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में वृद्धि दर 2.4 पर्सेंट से बढ़कर 4 फीसदी रही। हालांकि, औद्योगिक सेक्टर में वित्त वर्ष 2019 के 4.9 फीसदी की तुलना में 0.9 फीसदी की ही वृद्धि हुई और सर्विसेज सेक्टर में भी ग्रोथ रेट 5.5 पर्सेंट दर्ज किया गया, जबकि उससे पिछले वित्त वर्ष में सेवा क्षेत्र में 7.7 फीसदी की गति से बढ़ा था।