श्री हरि को सर्वाधिक प्रिय कार्त्तिक माह की कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, जो इस वर्ष बुधवार, 3 नवंबर को है। इसी दिन छोटी दिवाली और हनुमान जयंती भी है। नरक चतुर्दशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने दैत्य नरकासुर का वध किया था व 16,000 बंदी कन्याओं के साथ विवाह कर उन्हें सम्मान दिलाया था। इसी दिन वामन अवतार में हरि ने राजा बलि को आशीर्वाद दिया था कि हर साल दिवाली पर उनके यहां आएंगे।
इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का आशीर्वाद हासिल करने के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाएं और तिल का तेल उसमें डालें। रात के समय विधि-विधान से पूजा करने के बाद दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर अनाज पर रखें। साथ ही, ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतां मम’ मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें।
अकाल मृत्यु से बचने के लिए नरक चतुर्दशी जरूर मनानी चाहिए। एक बार यमराज ने दूतों से पूछा, ‘क्या तुम्हें प्राणियों के प्राण लेते समय दया नहीं आती?’ तब दूतों ने उन्हें बताया, ‘हेम नामक राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसके विषय में ज्योतिषियों ने कहा कि जिस दिन इसका विवाह होगा, उसके चार दिन बाद यह मर जाएगा। चिंतित राजा ने बालक को यमुना किनारे की गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर पाला। उसी यमुना तट पर महाराज हंस की पुत्री यमुना घूम रही थी, जिसे देख राजकुमार ने गंधर्व विवाह कर लिया। ठीक चार दिन बाद राजकुमार की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु पर राजकुमारी का विलाप देखकर हमारा हृदय भी कांप रहा था।’
यह प्रसंग यमराज को सुनाने के बाद एक यमदूत ने यमराज से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय पूछा। यमराज ने कहा,‘नरक चतुर्दशी के दिन अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को पूजन व दीपदान विधि-विधान से करना चाहिए।
यह जरूर करें: इस दिन सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करें, अन्यथा पूरे साल आपने जो पुण्य किए हैं, उनका नाश हो जाएगा। वरुण देवता को स्मरण करते हुए स्नान करना चाहिए। नहाने के जल में हल्दी व कुंकुम अवश्य डालें। फिर यम तर्पण करें।