नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का सबसे आम कारण सर्वाइकल कैंसर है? जी हां, अगर आंकड़े देखें तो समय पर इलाज न होने की वजह से 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में ये कैंसर मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन रहा है। लेकिन ये ऐसी कैंसर की बीमारी है जिसे ठीक किया जा सकता है।
भारत में सर्वाइकल कैंसर के लगभग 1,22,000 नए मामले सामने आते हैं, जिसमें लगभग 67,500 महिलाएं होती हैं। कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 प्रतिशत कारण सर्वाइकल कैंसर ही है। यह स्थिति और भी खराब इसलिए हो जाती है कि देश में मात्र 3.1 प्रतिशत महिलाओं की इस हालत के लिए जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साये में ही जीती हैं।
क्या है इसकी वजह?
सर्वाइकल एरिया में होने की वजह से इसे सर्वाइकल कैंसर कहते हैं। ये गर्भाशय में कोशिकाओं के अनियमित बढ़ोतरी की वजह से होता है। कई बार ये ह्यूमन पैपीलोमा वायरस यानी एचपीवी के कारण भी होता है। इसके अलावा, स्मोकिंग, बार-बार होने वाली प्रेग्नेंसी, एक से ज़्यादा पार्टनर के साथ फिजिकल रिलेशन बनाना जैसे वजह के कारण भी होता है।
2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल करीब 74 हजार महिलाएं इस जानलेवा बीमारी का शिकार होती हैं। वहीं, वुमन हेल्थ जर्नल की रिपोर्ट की मानें, तो ज्यादातर महिलाएं इसकी जांच नहीं कराती हैं जिस वजह से ये फैलता जाता है और जानलेवा साबित होता है। इसलिए वक्त रहते इसका इलाज कराना सबसे ज़रूरी है ताकि आप खुद को इसकी चपेट में आने से रोक सकें।
चेकअप है ज़रूरी
इससे बचने के लिए महिलाओं को नियमित रूप से चेकअप कराना ज़रूरी है। इसके साथ ही, हर तीन साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराएं। एचपीवी वायरस से बचने के लिए टीके लगवाएं। सिगरेट से दूर रहें और फिजिकल रिलेशन बनाते वक्त सुरक्षा का इस्तेमाल करें।
ऐसे होते हैं लक्षण
सर्वाइकल कैंसर में कई बार योनि से असामान्य तरीके से ब्लीडिंग होती है। इसके अलावा, शारीरिक संबंध बनाते वक्त ब्लड आना या तेज़ दर्द होना, वेजाइना से अक्सर व्हाइट बदबूदार डिस्चार्ज होना, पीरियड के वक्त काफी ज्यादा दर्द हो तो हल्के में ना लें और पेशाब की थैली में भी दर्द होना इसका एक बड़ा लक्षण है।
सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए कुछ सुझाव:
1. कंडोम के बिना कई व्यक्तियों के साथ यौन संपर्क से बचें।
2. हर तीन वर्ष में एक पैप टेस्ट करवाएं।
3. धूम्रपान छोड़ दें, क्योंकि सिगरेट में निकोटीन और अन्य घटकों को रक्त की धारा से गुज़रना पड़ता है और यह सब गर्भाशय-ग्रीवा में जमा होता है, जहां वे ग्रीवा कोशिकाओं के विकास में बाधक बनते हैं।
4. फल, सब्जियों और पूर्ण अनाज से समृद्ध स्वस्थ आहार खाएं, मगर मोटापे से दूर रहें।
5. सबसे ज़रूरी इसका टीकाकरण करवाएं। पहले एचपीवी के टीकाकरण के तीन डोज़ आते थे, लेकिन अब इसका सिर्फ एक डोज़ आता है। इस टीकाकरण को डॉक्टर की सलाह पर आप जितना जल्दी ले लेंगी आपको सर्वाइकल कैंसर का ख़तरा उतना कम हो जाएगा। इसे भी पोलियो के टीके की तरह ही आप चाहे तो कम उम्र में भी ले सकती हैं, लेकिन हां, इससे पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।