आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि पर यानी गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगेगा। 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ होगा। यह लगातार तीसरा साल होगा जब गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगेगा। देश में गुरु पूर्णिमा का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। 5 जुलाई को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। उपछाया चंद्र ग्रहण में मात्र चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ेगी इसलिए यह ग्रहण नहीं होगा ऐसे में ग्रहण का प्रभाव और सूतक काल मान्य नहीं होगा।
5 जुलाई को यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा जो अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में देखा जा सकेगा। यह चंद्र ग्रहण धनु राशि में लगेगा इसके अलावा इस दिन सूर्य मिथुन राशि में होगा।
गुरु पूर्णिमा की तिथि 4 जुलाई 2020 को दोपहर 11 बजकर 33 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 5 जुलाई को 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इससे पहले साल 2018 में 27 जुलाई को और साल 2019 में 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ लगा था। 5 जुलाई को ऐसा भी इसी तरह का संयोग बनेगा।
कब होता है चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है। चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों एक लाइन में आ जाते हैं।
5 जुलाई को उपछाया चंद्र ग्रहण
5 जुलाई को होने वाला चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण कहलाएगा। उपछाया चंद्र ग्रहण उसे कहते हैं जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी ऐसी स्थिति में आ जाती है की ये तीनों एक सीध में न होकर कुछ ऐसी स्थिति बनती है कि जहां से पृथ्वी की सिर्फ हल्की सी छाया चंद्र पर पड़ती है। इसे ही उपछाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इससे पहले 5 जून को भी इसी तरह का चंद्र ग्रहण लगा था।
सूतक
उपछाया चंद्र ग्रहण के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। इसके अलावा न ही इस ग्रहण का कोई प्रभाव ही रहेगा। चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है जबकि सूर्य ग्रहण के दौरान 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूतक काल आरंभ होने पर पूजा-पाठ नहीं किया जाता है।
गुरु पूर्णिमा पर पूजन
5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने गुरु का पूजन करना चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास की जयंती भी मनाई जाती है। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा और उनकी पूजा करनी चाहिए।