कानपुर। एसओजी और पनकी पुलिस की संयुक्त टीम ने लोन दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपये ठगने वाले सरगना समेत छह जालसाजों को दबोच लिया। पुलिस ने उनके पास से 42 हजार रुपये नगद, फिनो फाइनेंस कंपनी के फर्जी आईडी कार्ड, फार्म, आधार कार्ड, एटीएम, पांच सिम और सात मोबाइल मिले हैं।
कोर्ट में पेश करने के बाद सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिए गए। एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार ने पुलिस लाइन स्थित सभागार में प्रेसवार्ता कर बताया कि दो सप्ताह से कुछ लोग द्वारा फिनो फाइनेंस व आर ओवन कंपनी से लोन दिलाने के नाम पर सैकड़ों लोगों की ठगी की शिकायतें आ रहीं थीं।
एसओजी प्रभारी दिनेश कुमार यादव, पनकी इंडस्ट्रियल एरिया चौकी इंचार्ज अमित तिवारी ने फोर्स के साथ पहुंचकर सोमवार देर रात भौंती बाईपास से सभी को गिरफ्तार किया। इनमें सुल्तानपुर कुड़वार निवासी सचिन दुबे, सत्यम पांडेय, कानपुर देहात के मंगलपुर निवासी राजवीर सिंह, रसूलाबाद निवासी नीकेश, औरैया के फफूंद निवासी करन सिंह और हरदोई के मल्लावां निवासी आलोक मिश्रा को पकड़ा गया। गैंग का सरगना सत्यम पांडेय है।
एसओजी प्रभारी दिनेश कुमार यादव ने बताया कि राजवीर 2012 में औरैया के बेला थाने से धोखाधड़ी के मामले में पहले भी जेल जा चुका है। पुलिस ने उसके साथ निकेश, बीरू, राजू, सुनील और पूरन को जेल भेजा था। आलोक 2019 में पीलीभीत के निपुरिया थाने से रुपये लेकर विद्यार्थियों की जगह दूसरे से परीक्षा दिलाए जाने के मामले में जेल जा चुका है।
ऐसे करते थे ठगी
सत्यम और आलोक मिश्रा आर-ओवन फाइनेंस कंपनी में काम करते थे। कुछ दिन पहले इन्हें निकाल दिया गया था। इसके बाद इन लोगों ने लोन दिलाने के नाम पर लोगों को फांसना शुरू किया। फर्जी आईकार्ड दिखाकर लोन के नाम पर 15-20 लोगों का समूह बनवाते।
इसके बाद सभी से रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर 500 से लेकर 2000 रुपये तक वसूलते थे। फार्म भी भरवाते और आधार व पैन कार्ड जमा कराते थे। इसके बाद फोन बंद कर फरार हो जाते थे। आलोक ने बताया कि दो साल पहले उसने 700 लोगों को 30-30 हजार को लोन कराया था। इस वजह से लोग झांसे में आ गए। इस बार 50-50 लोन दिलाने का झांसा दिया था।
कई शहरों के लोगों को बनाया शिकार
एसपी पश्चिम ने बताया कि आरोपी शहर के अलावा फतेहपुर, रायबरेली, हरदोई और लखीमपुर खीरी के सैकड़ों लोेगों को ठगा है। रुपये लेने के बाद दो सप्ताह में शहर छोड़ देते थे। बरामद मोबाइलों से पता चला है कि आरोपी रुपये अपने रिश्तेदारों के खातों में भेजते थे। 11 खातों में लेनदेने की बात सामने आई है। आरोपियों खाते फ्रीज किए जा रहे हैं।
महंगे होटल में ठहरते थे
सरगना सत्यम, राजवीर और आलोक खुद को फाइनेंस कंपनी का अधिकारी बताते थे। महंगे होटलों में ठहरते थे। बाकी साथी कर्मचारी और नौकर की भूमिका में होते थे। आरोपितों के खिलाफ पनकी, बजरिया, अनवरगंज व बाबूपुरवा थाने में भी रिपोर्ट दर्ज हैं।
सरगना बीकॉम पास, गैंग में रिश्तेदारों को भी किया शामिल
सरगना सत्यम पांडेय के पिता देवेश पांडेय का सुल्तानपुर में एलजी का शोरूम है। सत्यम बीकॉम करने के बाद फाइनेंस कंपनी में काम करने लगा था। एक साल पहले कंपनी से हटाए जाने के बाद सत्यम ने पुराने साथी 11वीं पास राजवीर और बीए पास आलोक मिश्रा सें संपर्क कर फर्जी फाइनेंस कंपनी खोलने के बात कही। राजवीर ने सब्जी की फेरी लगाने वाले मौसी के बेटे नीकेश और उसके बहनोई करन को गैंग में शामिल किया। सत्यम ने अपनी मौसी के बेटे सचिन दुबे को शामिल किया।