उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे लॉक डाउन खत्म होने के बाद 15 दिनों के अंदर परीक्षाएं शुरू कराएं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई विश्वविद्यालय इससे पहले भी परीक्षा शुरू कराना चाहता है तो वह करा सकता है। वह शुक्रवार को योजना भवन में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लॉक डाउन की स्थिति को देखते हुए शिक्षण कार्य तथा परीक्षाओं एवं मूल्यांकन आदि के संबंध में विचार-विमर्श कर रहे थे। इसमें उच्च शिक्षा विभाग के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, महाविद्यालयों के प्राचार्यों, निदेशक उच्च शिक्षा तथा क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
कुलपतियों को दिया अधिकार
डॉ. शर्मा ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को सुझाव दिया कि वे अपनी सुविधा के अनुसार परीक्षएं शीघ्र कराने के लिए परीक्षा केंद्रों को बढ़ाने, विषय के प्रश्नपत्रों की संख्या को कम करने, एक ही प्रश्नपत्र के 5 या 6 प्रश्नों के स्थान पर 4 प्रश्नों को हल किए जाने, प्रश्नपत्र की अवधि तीन घंटे के स्थान पर दो घंटे किए जाने, परीक्षा को दो पालियों के स्थान पर तीन पालियों में संपन्न कराने के संबंध में फैसला ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि विभिन्न विषयों की छूटी हुई प्रयोगात्मक परीक्षाओं को भी संपादित करा लिया जाए। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मूल्यांकन कार्य भी समय से कराकर जून के अंत तक या जुलाई के प्रथम हफ्ते में रिजल्ट घोषित कर दिया जाए। कुलपति यदि चाहे तो मूल्यांकन केंद्रों का विकेंद्रीकरण भी कर सकते हैं। वे यह भी तय कर सकते हैं कि एक दिन में कितनी उत्तर पुस्तिकाएं जांची जाएं, लेकिन यह व्यवस्था केवल इस वर्ष के लिए ही होगी। समय सारणी इस तरह से बनाई जाए कि अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षाएं तथा रिजल्ट पहले घोषित किया जा सके। सत्र को नियमित रखने के लिए विश्वविद्यालयों में प्रवेश की प्रक्रिया जुलाई माह में संपादित करा ली जाए।
मूल्यांकन भी शुरू कराने पर जोर
डॉ. शर्मा ने विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य को तेजी निपटाया जाए। आगामी परीक्षाओं के साथ ही साथ मूल्यांकन का कार्य भी कराया जाए, जिन विषयों एवं प्रश्न पत्रों की परीक्षाएं संपन्न हो चुकी हैं उनके उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए शुरू किया जाए। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने कहा कि विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों द्वारा छात्रों की जिज्ञासाओं का समुचित उत्तर ऑनलाइन उपलब्ध कराते हुए ई-कन्टेंट अपलोड किया जाए। इसके अतिरिक्त सभी महाविद्यालयों के काउंसलर तथा मनोवैज्ञानिक सलाहकार को नामित करते हुए उनके मोबाइल नंबर छात्रों को विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध कराया जाए जिससे उनकी समस्याएं निस्तारित की जा सकें।