नई दिल्ली। मध्य प्रदेश का राजनीतिक संकट अब संवैधानिक संकट में बदलता हुआ दिख रहा है। भाजपा, कांग्रेस, विधानसभा और राजभवन शह और मात के खेल के मुख्य किरदार बनकर उभरे हैं। इस सियासी उठापटक ने भोपाल से बेंगलुरू की दूरियां घटा दी हैं। दोनो दलों के नेता बेंगलुरू की दौड़ में व्यस्त हैं। यहां कांग्रेस के 22 विधायक हैं। कोई कथित रूप से बंधक विधायकों से मिलने को बेताब है तो कोई मुलाकात रोकने के लिए। इस बीच बेंगलुरू से हर दिन आने वाले वीडियों अलग सनसनी फैला रहे हैं। किस करवट बैठेगा सियासी खेल।
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बेंगलुरू में ठहरे कांग्रेस के बागी विधायकों से मिलने पहुंचे। उन्होंने इन्हें राज्यसभा चुनाव का मतदाता बताया। आठ मंत्री और तीन विधायक भी उनके साथ बेंगलुरू पहुंचे हैं। वहां इन सबको कर्नाटक पुलिस ने रिसोर्ट में ठहरे विधायकों से मिलने से रोका तो सभी लोग सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। पुलिस कमिश्नर से मिलने की मांग पर अड़ गए तो उन्हें हिरासत में लेकर थाने ले जाया गया। बाद में गिरफ्तार कर जमानत पर छोड़ दिया गया। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी ट्वीट कर कहा है कि लोकतांत्रिक मूल्यों, संवैधानिक मूल्यों व अधिकारों का दमन किया जा रहा है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट तुरंत कराने के राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की अर्जी पर सुनवाई के दौरान तमाम वकीलों ने जोरदार दलीलें पेश की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा ने बेंगलुरु में विधायकों को बंधक बना रखा है। कांग्रेस ने कहा कि जब तक इस्तीफा दे चुके विधायकों की सीटों पर चुनाव न हो जाए, तब तक के लिए फ्लोर टेस्ट टाल दिया जाए। जब कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि केवल 6 विधायकों को ही इस्तीफे क्यों स्वीकार किए तो वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे मंत्री थे। इस बीच, शिवराज सिंह की तरफ से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने इसे कांग्रेस की चाल बताई। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट कहे तो वह सभी 16 विधायकों को पेश करते हैं, इसपर अदालत ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है, अब मामले की सुनवाई गुरुवार को सुबह 10.30 बजे होगी।
बागी विधायकों व बर्खास्त मंत्रियों का ताजा वीडियो वायरल
कांग्रेस ने अपनी बागी विधायकों को मनाने के लिए दिग्विजय, मंत्रियों व विधायकों को बेंगलुरू भेजा है लेकिन बागी अभी भी अपने फैसले पर अडिग हैं। वे वापस लौटने को तैयार नहीं है। सबने एकजुट होकर फिर बुधवार अपने बयान वीडियो में रिकॉर्ड कर वायरल किए हैं जिसमें दिग्विजय समर्थक माने जाने वाले एदल सिंह कंषाना ने भी साफ शब्दों में कह दिया है कि जब एक साल से नहीं सुनी गई तो एक दिन में क्या सुन लेंगे। वहीं, वरिष्ठ विधायक बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि दिग्विजय सिंह को 40 साल तक नेता माना मगर उन्होंने बेवकूफ ही बनाया। भाई-भतीजावाद व पुत्रमोह में एदल सिंह को मंत्री नहीं बनने दिया।
आठ मंत्री बेंगलुरू में, फिर भी हुई कमलनाथ कैबिनेट की बैठक
कमलनाथ सरकार के आठ मंत्रियों के बेंगलुर में होने के बावजूद कैबिनेट बैठक हुई। इसे राजनीतिक कैबिनेट माना जा रहा है। इसमें गुना जिले के चांचौड़ा, सतना जिले के मैहर और रतलाम जिले के नागदा को जिला बनाने की सैद्घांतिक मंजूरी दी गई। बैठक जारी है। उधर, भाजपा विधायक दल के सचेतक डॉ.नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि अल्पमत की सरकार के सभी निर्णय निरस्त किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सहित कैबिनेट में 29 सदस्य थे। इसमें से छह मंत्रियों को बर्खास्त किया जा चुका है। बचे 23 में से आठ बेंगलुरू में हैं।