लखनऊ। कोविड-19 की महामारी के बीच अपने एक अहम फैसले में मस्जिद में आज़ान की अनुमती के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लाउडस्पीकर पर अजान देने पर रोक लगा दी। हालांकि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के इस फैसले से सहमत हैं, लेकिन धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनका कहना है कि अजान के लिए लाउडस्पीकर का महत्व नहीं है, लेकिन यह शर्त हर समुदाय पर लागू होनी चाहिए।
शिया धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में यह बात साफ है कि अजान तो होगी। लेकिन माइक हो या नहीं उस पर जितने भी धर्म हैं, उनको अब सोचना होगा। मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि माइक का इस्तेमाल अजान, कीर्तन, भजन या किसी तरह की पूजा-प्रार्थना के लिए होता है। जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है। हमको यह समझना होगा कि माइक इसलिए इस्तेमाल होता है कि अपनी आवाज को थोड़ी दूर तक पहुंचाया जा सके।
सैफ अब्बास ने कहा कि हम भी यह बात मानते हैं कि हमारे यहां अजान का महत्व है माइक का महत्व नहीं है। लेकिन यह शर्त हर समुदाय के साथ एक जैसी होनी चाहिए। जिससे फिर कहीं पर भी माइक का इस्तेमाल न हो। उन्होंने कावड़ियों का उदाहरण देते हुए कहा कि कावंड़ यात्रा के दौरान कांवड़िये अपनी भक्ति में लीन, लाउडस्पीकर का लंबे समय तक प्रयोग करते हैं, जबकि अजान कुछ ही मिनट के लिए होती है। लिहाजा जब उस पर कोई आपत्ति नहीं है तो फिर अजान पर भी नहीं होनी चाहिए।