लखनऊ। मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अजान को लेकर विवाद के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपील पर शहर की कई मस्जिदों में अजान के वक्त स्पीकर की आवाज कम कर दी गई है। हालांकि, नमाज के वक्त इनकी आवाज पहले से ही कम है। उलमा ने धार्मिक जुलूसों को लेकर सीएम के आदेश का स्वागत किया है।
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन एवं ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि ईदगाह स्थित जामा मस्जिद में अजान के समय स्पीकर का वॉल्यूम पहले से कम कर दिया गया है। इस्लाम किसी को परेशान करने की इजाजत नहीं देता है।
कई सालों से इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया एडवायजरी जारी कर सहरी के वक्त लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कम से कम या न करने के लिए अपील करता आ रहा है। यह भी कहा कि मस्जिदों में तरावीह की विशेष नमाज के वक्त भी स्पीकर की आवाज इतनी कम रहती है कि परिसर से बाहर नहीं जाती।
मौलाना ने बताया कि नादान महल स्थित मस्जिद तक्वीअतुल ईमान, तालकटोरा, चौक स्थित मदीना मस्जिद आदि में भी आवाज कम की गई है। दरगाह शाहमीना शाह के मुतवल्ली पीरजादा शेख राशिद अली मीनाई ने बताया कि परिसर स्थित मस्जिद में सीएम की अपील पर स्पीकर की आवाज कम की गई है।
मंदिरों, गुरुद्वारों में ज्यादातर साउंड बाक्स का ही इस्तेमाल
राजधानी के मंदिरों और गुरुद्वारों में ज्यादातर साउंड बॉक्स का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी आवाज भी परिसर के अंदर ही रहती है। अलीगंज स्थित हनुमान मंदिर के उत्कर्ष बाजपेई ने बताया कि उन्होंने आज तक लाउडस्पीकर लगाया ही नहीं। साउंड बॉक्स पर भी सिर्फ मंगलवार और शनिवार की सुबह-शाम श्रीराम का भजन चलता है।
बड़े मंगल जैसे बड़े आयोजनों के समय तेज आवाज के स्पीकर का इस्तेमाल तभी होता है, जब किसी का कोई सामान खो जाए या किसी के गुम होने की सूचना देनी हो। चौक स्थित मां पूर्वी देवी मंदिर के संरक्षक प्रमोद कुमार शुक्ला बताते हैं कि लाउडस्पीकर तभी बजता है, जब साल में कोई बड़ा आयोजन होता है।
पातालपुरी मंदिर के विवेक तांगड़ी का कहना है कि परिसर के अंदर लाउडस्पीकर का धीमी आवाज में सुबह-शाम आरती के लिए ही उपयोग होता है। उधर, आलमबाग स्थित गुरुद्वारे के हरजीत सिंह ने बताया कि कई सालों से साउंड बॉक्स का ही इस्तेमाल हो रहा है। कीर्तन व बड़े आयोजनों के समय भी आवाज परिसर के अंदर ही रहती है। यहियागंज स्थित गुरुद्वारे के देवेंदर बताते हैं कि गुरुद्वारा परिसर के अंदर कई स्पीकर लगे हैं, लेकिन इनकी आवाज परिसर में ही रहती है।