आर्थिक सुस्ती और कोरोना वायरस के प्रभाव के बीच मोबाइल फोन पर जीएसटी दर को 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का उद्योग को नुकसान होगा और इसका रोजगार पर भी असर पड़ेगा। मोबाइल फोन उद्योग के संगठन आईसीईए ने रविवार को यह आशंका जाहिर की है।
‘दि इंडियन सेल्युलर एण्ड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसियेसन’ (आईसीईए) ने मोबाइल फोन पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) बढ़ाने के जीएसटी परिषद के फैसले के एक दिन बाद यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उसने कहा है कि इस वृद्धि से आम आदमी पर 15,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा और 100 करोड़ भारतीय उपभोक्ताओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव होगा।
आईसीईए चेयरमैन पंकज महेन्द्रू ने एक वक्तव्य में कहा, ”ऐसे समय जब कोरोना वायरस का डर फैला हुआ है, आर्थिक सुस्ती अपने चरम पर है, उपभोक्ता धारणा बुरी तरह प्रभावित है और शेयर बाजार तेजी से गिर रहा है, मोबाइल फोन पर जीएसटी बढ़ाना स्वाभाविक समझ के प्रतिकूल है और असंवेदनशील फैसला है। इसका रोजगार पर तुरंत असर पड़ेगा और विनिर्माण क्षेत्र में भविष्य की निवेश की संभावनाओं पर बुरा असर होगा।”
उन्होंने कहा कि जून 2017 तक उपभोक्ताओं को 4- 5 प्रतिशत की दर से मूल्य वर्धित कर (वैट) और एक प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क देना होता था। इसके बाद उन पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगा दिया गया, जिसे अब और बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया।
महेन्द्रू ने कहा, ”18 प्रतिशत जीएसटी से बीसवीं सदी के बुरे दिन फिर लौट आयेंगे जब मोबाइल फोन का दो नंबर का कारोबार अपने चरम पर था और 90 प्रतिशत तक ऐसे फोन बिकते थे। जीएसटी दर बढ़ाने से सरकार के मोबाइल फोन विनिर्माण को बढ़ावा देने के वर्षों के प्रयासों को झटका लगेगा।”