प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को यूरोपीय देश नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड और फिनलैंड के प्रधानमंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक कर इन देशों के साथ भारत के रिश्तों को और मजबूत करने पर चर्चा की।
यूरोपीय देशों से हरित और अक्षय ऊर्जा पर सहयोग बढ़ाएगा भारत
नॉर्डिक देशों के सम्मेलन से पहले हुई इन बैठकों में वैश्विक और क्षेत्रीय मसलों पर भी विचार-विमर्श हुआ। सभी प्रधानमंत्रियों से चर्चा में मुख्य रूप से हरित और अक्षय ऊर्जा पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की बात हुई।
पीएम बोले-नॉर्वे आर्कटिक नीति का मजबूत स्तंभ
मंगलवार को डेनमार्क पहुंचे मोदी ने बुधवार को सबसे पहले नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गार स्टोर से भेंट की। मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, प्रधानमंत्री जोनास से उपयोगी बैठक हुई। इस दौरान हमने ब्लू इकोनॉमी, स्वच्छ ऊर्जा, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य सेवा एवं क्षेत्रों में अपना सहयोग और बढ़ाने पर चर्चा की। भारतीय ने हाल में जो आर्कटिक नीति घोषित की है, नॉर्वे उसका एक मजबूत स्तंभ है।
स्वीडन से सुरक्षा और शोध में मजबूत होंगे रिश्ते
स्वीडन की प्रधानमंत्री मैगडेलना एंडरसन से मुलाकात में दोनों नेताओं ने अक्षय ऊर्जा, रक्षा, व्यापार और निवेश, स्मार्ट सिटी, महिला दक्षता विकास, अंतरिक्ष और विज्ञान, स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग के लिए बनाए गए ज्वाइंट एक्शन प्लान की समीक्षा की। 2018 में मोदी की स्वीडन यात्रा में ये एक्शन प्लान बनाने का फैसला हुआ था। भेंट के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, हमने, सुरक्षा, आईटी, शोध और नवोन्मेष जैसे मुद्दों पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर बात की। दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध हमारी जनता के हित में हैं। विदेश मंत्रालय ने मुलाकात के बाद बताया कि दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित भारत-स्वीडन की ‘लीड आईटी’ पहल की प्रगति से संतुष्टि जताई।
डेनमार्क की युवरानी को भेंट किया बनारसी मीनाकारी से बना पक्षी
मोदी ने डेनमार्क की युवरानी मैरी को बनारसी मीनाकारी से तैयार किया गया चांदी का पक्षी भेंट किया। वाराणसी में चांदी पर मीनाकारी की विरासत 500 साल पुरानी है। मोदी ने डेनमार्क की महारानी मार्गरेट द्वितीय को गुजरात के कच्छ की रोगन पेंटिंग उपहार में दी। फिनलैंड की पीएम सना मारिन को उन्होंने राजस्थान का एक शिल्प भेंट किया। राजस्थान की कोफ्तगिरी कला से सज्जित ढाल और कच्छ की कढ़ाई से सजी दीवार पर लटकाई जाने वाली कलाकृति क्रमशः नार्वे और डेनमार्क के प्रधानमंत्रियों को भेंट की। स्वीडन के प्रधानमंत्री को जम्मू-कश्मीर पश्मीना स्टोल भेंट की।
भारत-ईयू एफटीए की प्रक्रिया को गति देगा आइसलैंड
आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकोबस्डोटिर से जियोथर्मल ऊर्जा, समुद्री अर्थव्यवस्था, आर्कटिक, अक्षय ऊर्जा, फिशरीज, फूड प्रोसेसिंग, शिक्षा, डिजिटल यूनिवर्सिटी और संस्कृति के मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर विचार किया।
फिनलैंड संग भविष्य की तकनीक पर सहयोग : पीएम ने फिनलैंड की पीएम सना मारिन से मुलाकात कर व्यापार, निवेश, तकनीक के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने की चर्चा की। मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच डिजिटल साझेदारी, व्यापार और निवेश की अपार संभावना है।
मोदी की पांचवीं फ्रांस यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी की यह पांचवीं फ्रांस यात्रा है। इससे पहले वह अप्रैल 2015, नवंबर 2015, जून 2017 और अगस्त 2019 में फ्रांस जा चुके हैं। वहीं मैक्रों ने मार्च 2018 में भारत की यात्रा की थी। इसके अलावा दोनों नेता तीन बार जी20 बैठक से इतर भी मुलाकात कर चुके हैं।
अभी फ्रांस दौरे का अहम कूटनीतिक संदेश
राजनयिक सूत्रों ने कहा कि मैक्रों की राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार जीत के तुरंत बाद मोदी की फ्रांस यात्रा के अहम कूटनीतिक संकेत हैं। इससे यह संकेत जाता है कि दोनों नेता भारत-फ्रांस साझेदारी को आने वाले वर्षों में अपनी विदेश नीति का निर्देशक सिद्धांत बनाना चाहते हैं। ये दोनों नेताओं के व्यक्तिगत संबंधों को भी दिखाता है।
यूक्रेन संकट सुलझाने के लिए लगातार प्रयासरत रहे हैं मैक्रों
मैक्रों दुनिया के उन चुनिंदा नेताओं में हैं जो रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत से ही राष्ट्रपति पुतिन के संपर्क में हैं और संकट का समाधान निकालने का प्रयास करते रहे हैं। मंगलवार को भी उन्होंने पुतिन से बात कर सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के नाते जिम्मेदारी समझने और आक्रमण समाप्त करने की अपील की।
दुनिया की समृद्धि में दे सकते हैं ज्यादा योगदान : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत और नॉर्डिक देश मिलकर दुनिया की समृद्धि और टिकाऊ विकास में ज्यादा योगदान दे सकते हैं। पीएम ने डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद यह बात कही। डेनमार्क, स्वीडन, आइसलैंड, फिनलैंड और नॉर्वे को मिलाकर नॉर्डिक देश कहा जाता है। सम्मेलन में यूक्रेन संकट के अस्थिर करने वाले प्रभावों और इसके व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक असर पर चर्चा हुई। सभी देश मामले में करीबी संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए। सम्मेलन में मोदी के अलावा अन्य पांचों देशों के प्रधानमंत्री मौजूद थे।