दूसरे चरण में प्रदेश का सबसे दिलचस्प चुनावी मुकाबला है। प्रदेश में बड़े कद वाले अधिकतर नेताओं के भाग्य का फैसला इसी चरण में होना है। 20 विधानसीटों में से 13 सीटें कोल्हान की होने के कारण हार-जीत का फैसला सीधे तौर पर मुख्यमंत्री रघुवर दास और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। मुख्यमंत्री रघुवर दास खुद जमशेदपुर पूर्व से उम्मीदवार हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के खूंटी से सांसद होने और खरसावां से कई बार प्रतिनिधित्व करने के कारण वहां भाजपा उम्मीदवारों को जिताने का दारोमदार भी उन्हीं पर है। चक्रधरपुर से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के प्रत्याशी होने के कारण चक्रधपुर में भी चुनावी मुकाबला रोचक हो गया है।
तीन मंत्रियों सरयू राय, नीलकंर्ठ सिंह मुंडा, रामचंद्र सहिस और स्पीकर दिनेश उरांव की अगली पारी का फैसला भी दूसरे चरण में ही होना है। सरयू राय, नीलकंर्ठ सिंह मुंडा और दिनेश उरांव की सीटों क्रमश: जमशेदपुर पश्चिम, खूंटी और सिसई से भाजपा ने अभी तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। इस कारण इन तीनों शूरमाओं की सांस अटकी है। जलसंसाधन मंत्री रामचंद्र सहिस का जुगसलाई से आजसू उम्मीदवार होना तय माना जा रहा है। दिग्गजों की लड़ाई में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की साख भी दांव पर लगी है। जगन्नाथपुर और मझगांव कोड़ा के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है। उनकी पत्नी गीता कोड़ा अर्भी सिंहभूम से कांग्रेस सांसद है। इसलिए जगन्नाथपुर और मझगांव सीटों से विपक्षी उम्मीदवारों को जीत दिलाना कोड़ा दंपति के वजूद का सवाल बन गया है।
प्रदीप बलमुचू और दिनेशानंद गोस्वामी पर सबकी नजर
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू की सीट घाटशिला गठबंधन के तहत झामुमो के खाते में चली गई है। इससे नाराज बलमुचू ने बगावत का एलान कर दिया है। बलमुचू झाविमो या आजसू से टिकट की आस में हैं। किसी भी पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय लड़ने की घोषणा की है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी की बहरागोड़ा से टिकट कट गई है। यहां भाजपा ने झामुमो से आए विधायक कुणाल षाड़ंगी को उतारा है। कुणाल षाड़ंगी के पिता दिनेश षाड़ंगी भी यहां से भाजपा विधायक थे।
सात पूर्व मंत्रियों की किस्मत का भी होना है फैसला
दूसरे चरण में झारखंड सरकार में मंत्री रहे सात नेताओं की किस्मत का भी फैसला होना है। पूर्व मंत्री चंपई सोरेन सरायकेला से झामुमो विधायक हैं। उन्होंने अभियान शुरू कर दिया है। जेल में बंद पूर्व मंत्री राजा पीटर तमाड़ से विधायक रहे हैं। उनके जेल से ही चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री रहीं गीताश्री उरांव ने सिसई से, कृषि मंत्री रहे बन्ना गुप्ता जमशेदपुर पश्चिम से, पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की मांडर से, विधि मंत्री रहे देवकुमार धान मांडर से और पूर्व मंत्री दुलाल भुईंया के भी जुगसलाई से चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
यहां बड़ा मुकाबला
जुगसलाई
आजसू कोटे से राज्य सरकार में मंत्री रामचंद्र सहिस यहां से विधायक हैं। सहिस के भाजपा-आजसू गठबंधन में यहां से मैदान में उतरने की उम्मीद है। सहिस का मुकाबला पूर्व मंत्री दुलाल भुईंया से हो सकता है। भुईंया यहां से तीन बार विधायक रहे हैं। 2009 और 2014 का चुनाव हार गए। अभी वे झामुमो में हैं।
मांडर
दो पूर्व मंत्री बंधु तिर्की और देव कुमार धान यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा विधायक गंगोत्री कुजूर को दोबारा चुनाव लड़ा सकती है। विपक्षी गठबंधन भी मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है। बहुकोणीय मुकाबले के आसार के कारण इस सीट का समीकरण लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
जमशेदपुर ईस्ट
मुख्यमंत्री रघुवर दास अगली पारी के लिए भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। इसलिए इस सीट के चुनाव परिणाम को लेकर प्रदेश भर में उत्सुकता बनी हुई है। विपक्ष यहां से किसी कद्दावर चेहरे पर दांव लगा सकता है।
जमशेदपुर पश्चिम
मंत्री सरयू राय की टिकट अटकी है। पिछली बार उनके खिलाफ चुनाव लड़े बन्ना गुप्ता फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। बन्ना गुप्ता के भाजपा में भी संभावना तलाशने की चर्चा है।
तमाड़
आजसू विधायक विकास मुंडा ने हाल ही में झामुमो का दामन थाम लिया है। उनका मुकाबला जेल में बंद पूर्व मंत्री गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर या उनके किसी नजदीकी से हो सकता है। भाजपा भी यहां से मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है।
कोलेबिरा
इसाई समुदाय बहुल इस सीट पर चुनावी घमासान भाजपा के लिए कठिन है। कई बार विधायक रहे झापा के एनोस एक्का सजायाफ्ता हैं। उपचुनाव में कांग्रेस के नमन विक्सल कोंगारी यहां से चुनाव जीते। भाजपा मजबूत उम्मीदवार तलाश रही है।