लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को राजधानी लखनऊ के चौक में कोनेश्वर मंदिर का शुभारंभ किया। इस मौके पर बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन भी मौजूद रहे। उन्होंने इस मौके पर भगवान भोलेनाथ का पूजन भी किया। बता दें कि पिछले सात वर्षों से मंदिर के विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण का काम चल रहा था।
प्रदेश के नगर विकास मंत्री और श्री कोनेश्वर महादेव मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष आशुतोष टंडन ‘गोपाल जी’ ने बताया कि 12 फरवरी, 2013 से मंदिर के सौंदर्यीकरण का काम चल रहा था। नवीनीकरण के बाद यहां भगवान भोलेनाथ जल और ऊर्जा संरक्षण का संदेश देंगे। मंदिर में देवताओं पर चढ़े जल को शुद्ध कर उसे भूमि में पहुंचाया जाएगा, जिससे भूजल स्तर बढ़ेगा।
देवताओं पर चढे़ दूध, दही, जल को जलशोधन यंत्र के जरिये अलग-अलग कर जल को भूमि के भीतर पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा वर्षा जल का संचयन की भी व्यवस्था की गई है। साथ ही मंदिर परिसर में सौर ऊर्जा का 15 किलोवाट प्लांट भी स्थापित किया गया है।
प्रथम तल पर संत निवास, सत्संग भवन, पवित्र रसोई, पुजारी निवास, भक्तजनों के लिए आवश्यक सुविधाओं का इंतजाम किया गया है। भूतल पर औषधालय, स्वागत कक्ष, भगवान के तमाम स्वरूप, प्रतिमाएं हैं। माता अन्नपूर्णा, मां विंध्यवासिनी, संतोषी माता, हनुमान जी, राम दरबार, राधाकृष्ण, तिरुपति बालाजी, भगवान शंकर, माता पार्वती, नंदी जी, भगवान गणेश, नरसिंह भगवान, देवी सरस्वती की प्रतिमाएं प्राण प्रतिष्ठा के साथ स्थापित की गई हैं। मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से अगरबत्ती बनाने का उपक्रम भी है।
नगर के प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर। माना जाता है कि ये मंदिर रामायण कालीन है। बताया जाता है कि कौंडिल्य ऋषि ने गोमा नदी के किनारे भगवान को स्थापित किया। तब गोमा इसके पास से ही गुजरती थी। भगवान को यहां कई बार बीच में स्थापित करने का प्रयास किया गया, लेकिन ये अपने आप ही रात में सरक कर अपनी पुरानी जगह पर आ जाती थी। ऐसा लगातार कई दिन तक चला।
उसके बाद एक दिन ऋषि को स्वप्न में खुद भगवान ने उनकी कोने में ही रहने की मंशा बताई तब से कोनेश्वर महादेव वहीं विराजमान है। कालांतर में नदी और दूर हुई। यहां हर महाशिवरात्रि, सावन के सोमवारों पर पुष्प की पंखुड़ियों का शृंगार सबसे अनोखा होता है। शिवरात्रि पर मेला लगता है। सावन भर यहां ब्राह्मणों का दल विशेष पाठ करता है।