म्यांमार के सुरक्षा बलों ने गुरुवार को प्रदर्शन कर रहे करीब 10 और लोगों की जान ले ली। गत 1 फरवरी को म्यांमार में तख्तापलट के बाद सैन्य शासन की शुरुआत हो गई जिसपर लोग विरोध जता रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि तब से लेकर अब तक देश की सेना जुंटा के द्वारा 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों की जान ली जा चुकी है। देश की सैन्य सरकार लोगों के विरोध को दबाने के लिए उनपर गोलियां बरसा रही है, आंसू गैस के गोले दाग रही है और उनपर पानी की बौछारें कर रही है। देश में लगातार हो रहे प्रदर्शन और अब इसके खिलाफ सेना की कार्रवाई को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चिंता की जा रही है। इस क्रम मे अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका प्रदर्शनकारियों पर हमले की निंदा करता है और अधिक हिंसा होने पर वह कार्रवाई करेगा।
बता दें कि विरोध प्रदर्शनों को रोकने के नाम पर सेना ने देशभर में भीड़ पर गोलीबारी की। प्रदर्शनकारियों पर सेना द्वारा इस कार्रवाई के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपील किया है कि इस पर रोक लगाया जाए। दरअसल, एक स्वतंत्र UN एक्सपर्ट ने मानवता के खिलाफ बढ़ते अत्याचार का हवाला दिया। इस बीच सेना ने नेता आंग सान सू की पर एक और आरोप लगाया है। सेना का कहना है कि उन्होंने अवैध तरीके से 6 लाख डॉलर यानि लगभग 4 करोड़ 36 लाख रुपये और 11 किलो सोना जमा किया। तख्तापलट के बाद निर्वाचित सरकार को बेदखल कर सेना ने आंग सान सूकी व अन्य वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया था। बता दें कि सू की की पार्टी नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी पिछले साल नवंबर में होने वाले चुनावों में जीत हासिल हुई थी।
तख्तापलट के बाद से अब तक देश के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। अब यहां के प्रत्येक सार्वजनिक इमारत के बाहर सैनिकों को तैनात कर दिया गया है। भारी संख्या में तख्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में लेने के लिए देश की सेना जुंटा ने देश के बड़े शहरों और अन्य स्थानों पर अस्पतालों, विश्वविद्यालय परिसरों और मंदिरों के बाहर सैनिक तैनात किए गए हैं।