डेस्क। भगवान नरसिंह जी का जन्मोत्सव नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान नरसिंह का अवतरण वैशाख शुल्क पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन हुआ था। इस वर्षीय तिथि 6 मई को पड़ रही है इसलिए नरसिंह जयंती 6 मई को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान नरसिंह विष्णु जी के छठे अवतार हैं। आइए जानते हैं इस दिन का विशेष मुहूर्त पूजा विधि और उनके जन्म से जुड़ी बातें।
पूजा विधि: सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्मों से निवृत होकर स्नान करें, व्रत का संकल्प लें, भगवान नरसिंह और लक्ष्मी जी की प्रतिमा को स्थापित करें। पूजा में फल, फूल, पंच मेवा, केसर रोली, नारियल, अक्षत, पीतांबर, गंगाजल, काला तिल और हवन सामग्री का प्रयोग करें। भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार: हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि वो न तो किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सकेगा न ही किसी पशु द्वारा, न दिन में मारा जा सकेगा और न रात में, न जमीन पर मारा जा सकेगा न आसमान में। इस वरदान के नशे में आकर उसके अंदर अहंकार आ गया जिसके बाद उसने इन्द्रदेव का राज्य छीन लिया और तीनों लोक में रहने वाले लोगों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। उसने घोषणा कर दी कि मैं इस पूरे संसार का भगवान हूँ और मेरी सब पूजा करो उधर हिरण्यकश्यप के स्वभाव से विपरीत उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। पिता के लाख मना करने और प्रताड़ित करने के बाद भी वो भगवान विष्णु की पूजा करता था।
जब प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की बात नहीं मानी तो उसने अपने ही बेटे को पहाड़ में धकेल कर मारने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की जान बचा ली। इसके बाद हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को रात में जिंदा जलाने की नाकाम कोशिश की। अंत में क्रोधित लाग्ने अपने पुत्र प्रहलाद को दीवार में बांध कर आग लगा दी और कहा बता तेरा भगवान कहाँ है प्रहलाद ने बताया कि भगवान यही है जहां आप ने मुझे बांध रखा है। जैसे ही हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारना चाहा वैसे ही भगवान विष्णु नरसिंह का अवतार लेकर खंभे से बाहर निकल आए और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। जिस दिन भगवान नर्सिंग ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रह्लाद के जीवन की रक्षा की उस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।