एनआरसी और सीए के खिलाफ रविवार को तीसरे दिन भी राजधानी के ऐतिहासिक हुसैनाबाद घंटाघर पर महिलाओं का प्रर्दशन है
लखनऊ राजधानी के ऐतिहासिक हुसैनाबाद घंटाघर पर आज सुबह करीब सात बजे राष्ट्रगान के साथ महिलाओं ने अपनी दिनचर्या शुरू की, तथा सी, ए, ए, एन, आर, सी, के खिलाफ नारे लगाते हुए अपना प्रदर्शन जारी रखा ।
*बाप दादा लडे थे गोरों से, हम लड़ेंगे चोरों से*
तथा *ये देश है हमारा आप का, नहीं किसी के बाप का*
आदी नारों के साथ कड़ाके की ठंड में महिलाएं घंटाघर पर डटी हुई है ।
इससे पहले शनिवार की रात प्रशासन ने काफी आक्रमक रुख अपनाया तथा महिलाओं एवं उनको खाना चाय एवं कंबल आदि वितरित करने आए लोगों पर दम्नात्मक कार्रवाई की, प्रर्दशनकारी महिलाओं का खाना कंबल आदि भी छीन लिए, तथा सहयोग कर रहे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की कुछ लोगों को पुलिस ने बंद भी किया ।
किंतु इन सभी दमनात्मक कार्रवाईयों का प्रदर्शनकारी महिलाओं पर कोई असर नहीं पड़ता दिख रहा है, महिलाएं पूरे जोश और जुनून के साथ धरना स्थल पर डटी हुई हैं ।
लोकतंत्र में अंतिम प्रभुसत्ता जनता के हाथ में होती है व्यक्ति अथवा दल अपना मेमोरेंडम अपनी योजनाएं जनता के समक्ष रखता है, और जनता को पूर्ण अधिकार है उसके समर्थन अथवा विरोध का ।
लोकतंत्र में विरोध जनता का संवैधानिक अधिकार है, तथा तथा संविधान में स्पष्ट रूप से इसकी व्याख्या दी गई है ।
किंतु वर्तमान सरकार लोकतंत्र की मूल भावना को ही नष्ट करने पर तुली हुई है ।
जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा तो दूर की बात सरकार विरोध का एक भी स्वर सुनना नहीं चाहती तथा दमनकारी आचरण अपना रही है, जो की स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घतक है ।