राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दायर आरोप पत्र के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर का भतीजा मोहम्मद उमर फारूक जिसने 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले को अंजाम दिया वो बीबीसी के पत्रकारों की एक टीम को निशाना बनाना चाहता था। आत्मघाती हमलावर उन पत्रकारों को हमला बनाना चाहता था जो आदिल अहमद डार के घर पर उनके पिता गुलाम हसन डार का इंटरव्यू करने गए थे।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उमर फारूक और पाकिस्तान स्थित उसके चाचा अम्मार अल्वी के बीच 21 फरवरी 2019 के बीच हुई बातचीत का हवाला देते हुए बताया कि फारूक अपने चाचा से घाटी में मौजूद बीबीसी के पत्रकारों निशाना बनाना चाहता था। उसे लगता था ऐसा करने से जैश-ए-मोहम्मद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करेगा। इस को सुनिश्चित करने के लिए एनआईए ने दोनों के बीच हुई बातचीत को सुना है हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि उस समय पत्रकार घाटी में मौजूद थे या नहीं।
चार्जशीट के अनुसार, अल्वी नेफारूक को “पुलवामा हमले की सफलता का जश्न करने” के लिए कहा और पत्रकारों पर हमला करने की अनुमति से इनकार कर दिया। चार्जशीट में उन बीबीसी के पत्रकारों के नाम नहीं दिए गए हैं। चार्जशीट में 46 साल के अल्वी का नाम पुलवामा हमले में प्रमुख हैंडलर के रूप में लिखा गया है। इसके साथ ही फारूक, अजहर, अब्दुल रूफ असगर, और 15 अन्य लोगों के नाम भी लिखे गए हैं। एनआईए ने अल्वी की 2016 की कुछ तस्वीरों को खोजा है जिनमें वह फारूक के साथ अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत के सांगिन में एक ट्रेनिंग सेंटर में देखा गया जा रहा है।
चार्जशीट में कहा गया है कि उमर फारूक, जो पुलवामा हमले के बाद भी कश्मीर में फंसा हुआ था वो पाकिस्तान द्वारा अजहर और अब्दुल रूफ असगर समेत 44 संदिग्ध आतंकवादी के बाद चिंता में आ गया था, इंटरनेशनल प्रेशर को देखते हुए पाकिस्तान ये कदम उठाया था। मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी ने चार्जशीट की बातों को कोट करते हुए कहा, “जैश-ए-मोहमम्द के हैंडलर जिनके संपर्क में फारूक था उसको आईएसआई ने सूचना दी कि ये सब सिर्फ एक दिखावा है और उनके लीडर्स को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा।” एनआईए ने चार्जशीट में इस बातचीत की एक कॉपी साथ लगाई है।
एक दूसरी बातचीत में पाकिस्तान आधारित आंतकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के नेता फआरूक ने कश्मीर के शाकिर बशीर की प्रशंसा की है उसके मुताबिक शाकिर ने वही भूमिका निभाई जो 2001 एक संसद हमले के दौरान अफजल गुरु ने निभाई थी। 24 साल का शाकिर काकापोरा कहा रहने वाला था और वो इस मामल में गिरफ्तार किया गया पहला व्यक्ति था। पुलवामा हमले में इस्तेमाल किए गए 200 किलो के IED को उसके घर में इकट्ठा किया गया था और उसने CRPF के काफिले की टोह भी ली, विस्फोटकों की व्यवस्था की, कार में बम फिट करने में मदद की और आत्मघाती हमलावर को हमले वाली जगह पर पहुंचाया था। एजेंसी को फारूक के फोन से सैकड़ों वीडियो क्लिप, वॉयस नोट और व्हाट्सऐप संदेश मिले हैं जिसमें जैश-ए-मोहमम्द आतंकवादी
भारत में भेजे जाने से पहले जश्न मनाते, प्रशिक्षण लेते और अभ्यास करते नजर आते हैं। कुछ वीडियो उन्हें योजनाओं और पैसे के लेन-देन से भी जुड़े हुए थे. एनआईए के आरोपपत्र के अनुसार, फारूक ने कुल 5.7 लाख पाकिस्तानी रुपये खर्च किए (लगभग आज की विनिमय दर पर 2.51 लाख रुपये), पुलवामा हमले के लिए विस्फोटकों और अन्य वस्तुओं की व्यवस्था करने में, कुल मिलाकर 10 लाख पाकिस्तानी रुपये उनके दो बैंक में स्थानांतरित किए गए अकाउंटिन पाकिस्तान के एलाइड बैंक लिमिटेड और मीज़ान बैंक, सीमा पार स्थित है। यह स्पष्ट नहीं है कि उसने पैसे कैसे निकाले।
एनआईए ने मई 2020 की एक संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जैश-ए-मोहम्मद का तालिबान और अल-कायदा के साथ घनिष्ठ संबंध है। इसमें कहा गया है कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) अफगानिस्तान में आतंकवादी लड़ाकों की तस्करी की सुविधा देते हैं जो कामचलाऊ विस्फोटक उपकरणों (आईईडी) में सलाहकार, प्रशिक्षक और विशेषज्ञ के रूप में कार्य करते हैं। फारूक को भी 2016-17 में अफगानिस्तान में प्रशिक्षित भी किया गया था।
इसमें कहा गया है कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पास लगभग 800 और 200 सशस्त्र लड़ाके थे, जो नंगरहार प्रांत के मोहमंद दरगाह, दुर बाबा और शेरजाद जिलों में तालिबान बलों के साथ स्थित थे। वे अफगान तालिबान की शह में काम करते हैं। एनआईए के महानिदेशक वाई सी मोदी ने कहा: “हमारी चार्जशीट इस नृशंस और बर्बर हमले के आरोपियों के खिलाफ एकत्र किए गए फुल-प्रूफ डिजिटल, फोरेंसिक, वृत्तचित्र और मौखिक साक्ष्य पर आधारित है। भारत में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने और कश्मीरी युवाओं को उकसाने और भड़काने के लिए चार्जशीट ने पाकिस्तान स्थित संस्थाओं को शामिल करने का रिकॉर्ड बनाया है।