2012 निर्भया कांड के दोषियों को मौत की सजा दिलाकर सुर्खियों में आईं उत्तर प्रदेश के इटावा की वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा अब हाथरस में हैवानियत की शिकार पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए मुफ्त केस लड़ेंगी। दरअसल, सीमा हाथरस कांड की पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए उसके परिवार से मिलने के लिए उसके गांव जा रही थीं, लेकिन उनको जिला प्रशासन ने रोक लिया। इस दौरान उनकी हाथरस के अपर जिलाधिकारी से हुई तीखी बहस सोशल मीडिया में वायरल हो गई। इस बीच जब उनसे हाथरस जाने का कारण पत्रकारों ने पूछा तो उन्होंने साफ किया कि वह हाथरस कांड की पीड़िता का केस लड़ेंगी और मानवता को शर्मसार करने वाली इस मामले के लिए वह कोई भी फीस नहीं लेंगी।
वकील सीमा ने कहा, ‘पीड़तिा का परिवार चाहता है कि मैं उनकी वकील के तौर पर इस केस को लड़ूं, लेकिन प्रशासन मुझे परिवार से मिलने नहीं दे रहा है। प्रशासन कह रहा है कि इससे कानून व्यवस्था बिगड़ेगी। हाथरस की बेटी के शव को पुलिस ने पेट्रोल डालकर जलाया है। मैने निर्भया को न्याय दिलाया है और इसे भी न्याय दिलाऊंगी।’ अधिवक्ता ने कहा कि देश किसी भी प्रोफेशन की महिलाएं यह दावा नहीं कर सकती हैं कि वह सुरक्षित हैं ।
गौरतलब है कि दिल्ली के निर्भया कांड में सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा समृद्धि के प्रयासों की वजह से ही चारों दोषियों को फांसी मिल सकी थी, ऐसे में अगर वो इस केस को अपने हाथों में लेती हैं, तो हाथरस पीड़िता को जल्दी न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी। वह इस केस की शुरुआत से ही निर्भया की माता-पिता की वकील रही और सात साल तीन महीने की लंबी लड़ाई के बाद निर्भया के चारों गुनहगारों को 20 मार्च की सुबह फांसी के फंदे तक पहुंचाया। बतौर एडवोकेट सीमा का ये पहला केस था।
सीमा समृद्धि सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं और निर्भया ज्योति ट्रस्ट की कानूनी सलाहकार हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद सीमा ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी। सीमा 24 जनवरी, 2014 को निर्भया ज्योति ट्रस्ट से जुड़ीं थीं। सीमा कुशवाहा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की रहने वाली हैं। दस जनवरी 1982 को इटावा के ग्राम पंचायत बिधिपुर ब्लॉक महेवा, तहसील चकरनगर के एक छोटे से गांव उग्रापुर में उनका जन्म हुआ था। उनके पिता बालादीन कुशवाहा बिधिपुर ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं।
पिता के निधन के बाद आर्थिक तंगी के बीच सीमा ने कानून की पढाई पूरी की। पैसे की तंगी के बीच उन्होंने प्रौढ़ शिक्षा विभाग में संविदा पर नौकरी भी की। उन्होंने 2005 में कानपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से 2006 में पत्रकारिता की डिग्री हासिल की थी। उसके बाद, उन्होंने राजनीति विज्ञान में एमए भी किया। सीमा पहले आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं इसके लिए उन्होंने तैयारी भी की थी।
सीमा के पति राकेश बिहार राज्य के मुंगेर के संग्रामपुर प्रखंड के पौरिया गांव के रहने वाले हैं जो गणित के अध्यापक हैं और दिल्ली में आईआईटी की तैयारी कराने वाली एक संस्था से जुड़े हुए हैं। सीमा बताती है कि निर्भया का केस लड़ने के दौरान वह कई बार बीमार भी हुईं लेकिन इस बीच हर वक्त पति राकेश मेरे साथ खड़े रहे। उन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया।