दिल्ली।दिल्ली की निचली अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार-हत्याकांड मामले में चार दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की याचिका खारिज होने के बाद अक्षय ठाकुर की पत्नी पुनीता देवी के आंसू छलक आए। अक्षय की पत्नी ने यहां पटियाला हाउसकोर्ट के बाहर फूट-फूटकर रोते हुए कहा कि मुझे और मेरे नाबालिग बेटे को भी फांसी पर लटका देना चाहिए।
अक्षय की पत्नी ने हाल ही में बिहार फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। उऩ्होंने कहा था कि मैं बलात्कारी की विधवा की पहचान के साथ जीना नहीं चाहती। गुरुवार को अदालत के बाहर उऩ्होंने कहा, ”मैं भी न्याय चाहती हूं। मुझे भी मार दो। मैं जीना नहीं चाहती। मेरा पति निर्दोष है। समाज उनके पीछे क्यों पड़ा है? हम इस उम्मीद के साथ जी रहे थे कि हमें न्याय मिलेगा लेकिन बीते सात साल से हम रोज मर रहे हैं।” वह खुद को सैंडल से पीटने लगी, जिसके बाद अदालत के बाहर मौजूद वकीलों ने उन्हें ढांढस बंधाया।
दूसरी तरफ, पीड़िता के वकील जितेंद्र ने कहा कि दोषी किसी भी रहम के लायक नहीं है, हालांकि उसकी पत्नी सहानुभूति की हकदार है। उन्होंने कहा, ”अक्षय हमारे समाज का सदस्य है। हर किसी को अप्राकृतिक मौतों से दर्द होता है, लेकिन अक्षय किसी रहम के लायक नहीं। उसकी पत्नी अपराध में शामिल नहीं थी। वह अपने पति को खो देगी और मुझे उससे हमदर्दी है।”
अपने आठ साल के बच्चे के साथ आई अक्षय की पत्नी ने जज से कहा कि मुझे न्याय नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा, ”मुझे और मेरे बेटे को भी फांसी दे दो। हम कैसे जी पाएंगे? मैं भी न्याय चाहती हूं। मेरे और मेरे बेटे के बारे में तो सोचिए।” इसपर जज ने कहा, ”यहां निर्भया की मां भी मौजूद हैं। आप उनसे अपनी बात कहिए।” आदेश सुनाए जाने के बाद अक्षय की पत्नी चार महिला पुलिसकर्मियों और अपने वकील के साथ बाहर चली गईं।