राज्य ब्यूरो। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बुधवार को एक बार फिर निर्विरोध तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष चुनी गईं।सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने पांच साल के अंतराल के बाद बुधवार को अपने संगठनात्मक चुनाव कराए थे। कोलकाता के नेताजी इनडोर स्टेडियम में आयोजित सांगठनिक चुनाव के बीच पार्टी के महासचिव व इस चुनाव के लिए पार्टी की ओर से रिटर्निंग अधिकारी बनाए गए पार्थ चटर्जी ने मीडिया को बताया कि ममता बनर्जी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया, क्योंकि किसी अन्य नेता ने अपनी उम्मीदवारी पेश नहीं की थी।
चटर्जी ने कहा, ममता बनर्जी के पक्ष में कुल 48 प्रस्तावकों और समर्थकों ने नामांकन दाखिल किया। चूंकि अध्यक्ष पद के लिए अन्य किसी ने नामांकन नहीं भरा था, ममता बनर्जी को फिर से निर्विरोध चुन लिया गया है। बता दें कि ममता बनर्जी ने 1998 में कांग्रेस से अलग होने के बाद पार्टी की स्थापना की थी और तब से वह इसका नेतृत्व कर रही हैं। वर्ष 2001 और 2006 के विधानसभा चुनाव में दो असफल प्रयासों के बाद, पार्टी 2011 में वाममोर्चे को मात देकर सत्ता में आई थी। उसके बाद से तृणमूल का दबदबा बरकरार है। पिछले साल मार्च-अप्रैल में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने राज्य विधानसभा की 294 सीटों में से 213 सीटें हासिल करने के बाद लगातार तीसरी बार सत्ता में आई थी।
वहीं, एक बार फिर से पार्टी का निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने के बाद मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि राज्य में छह- सात और भाजपा विधायक टीएमसी में शामिल होना चाहते हैं। उन्होंने संकेत दिया कि जल्द ही ये विधायक पार्टी का दामन थाम लेंगे। ममता ने यह भी कहा कि हम किसी दल के विधायक को जोर जबरदस्ती नहीं तोड़ना चाहते हैं, लेकिन अगर कोई टीएमसी में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। हम उनके साथ मिलकर काम करेंगे। ममता ने इसके अलावा बताया कि वह आठ फरवरी को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगी।
मुख्यमंत्री ममता ने इस दौरान सभी क्षेत्रीय दलों को एकजुट होकर भाजपा को हराने का भी आह्वान किया। उन्होंने साथ ही दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस बंगाल की सभी 42 सीटों पर जीत दर्ज करेंगी। ममता ने इस दौरान राज्यपाल पर भी निशाना साधा। उन्होंने राज्यपाल का नाम लिए बिना कहा कि वह दिन- रात ट्विटर के माध्यम से उन्हें और उनकी सरकार को गालियां देते थे। बेवजह अधिकारियों को हर दिन मिलने के लिए तलब करते थे। राज्यपाल के पास कोई काम नहीं है। वह सिर्फ दिनभर राजभवन में बैठकर राज्य सरकार को परेशान करते हैं। बाध्य होकर उन्हें राज्यपाल का टि्वटर अकाउंट ब्लाक करना पड़ा।