रांची। Jharkhand Assembly Election 2019 कांग्रेस इस बार विधानसभा चुनाव हाईटेक तरीके से लड़ रही है और इतनी हाईटेक हो गई है कि अपने कार्यकर्ता ही ऑफलाइन हो गए हैं। पार्टी में वर्षों से झंडा ढो रहे लोग किनारे लगा दिए गए हैं और उनका यह हाल है कि झंडा ढोने तक का काम नहीं दिया जा रहा है। पार्टी ने दो सौ से अधिक लोगों की टीम को ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्यों के लिए दिल्ली उतार दिया है और इन लोगों ने पूरी तरह से मोर्चा भी संभाल लिया है। सोशल साइट से लेकर चुनाव प्रबंधन तक पर इनका निर्णय ही चल रहा है।
कांग्रेस में पुराने और अनुभवी नेताओं के ऊपर एमबीए पास छात्र लगा दिए गए हैं। सभी कथित तौर पर मैनेजमेंट के महारथी। परिणाम के साथ ही इनका प्रबंधन भी दिखेगा, लेकिन शुरुआत में तो पुराने लोग नाराज हो गए हैं। चप्पा-चप्पा की जानकारी रखने वाले नेताओं को काम नहीं देकर नए लोगों के पास पर्यवेक्षण का जिम्मा है। विभिन्न राज्यों से पहुंचे लोगों को गाड़ी-होटल आदि का इंतजाम पार्टी ने दिया है, लेकिन अपने ही विधानसभा प्रभारियों को किनारे लगा दिया गया है।
सूत्र बताते हैं कि चुनाव में इन्हें कोई काम नहीं दिया गया है। न ही आने-जाने का इंतजाम। कुछ लोग इज्जत बचाने के लिए सक्रियता दिखा रहे हैं, लेकिन पार्टी ने अभी तक कुछ नहीं कहा है। सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए पर्यवेक्षक बाहर से मंगाए गए हैं और इन्हें ने तो क्षेत्र की जानकारी है और न ही कार्यकर्ताओं की। हालांकि, सभी 31 पर्यवेक्षक पहुंच गए हैं।
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कई सीनियर नेता पार्टी से छिटक रहे हैं। सबसे पहले एक कार्यकारी अध्यक्ष ने पार्टी लाइन से अलग होकर अपना नामांकन कर दिया था और अब कई और सीनियर इसी कतार में दिख रहे हैं। नामांकन करने से तो लोग दूर रहेंगे लेकिन काम भी नहीं करेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की सक्रियता भी कम है। अभी तक वे अपने स्तर से अथवा कुछ उम्मीदवारों के आग्रह पर सक्रिय हुए हैं, नेतृत्व की ओर से कोई ठोस निर्देश उन्हें नहीं मिला है।
शनिवार को वे पलामू में केएन त्रिपाठी के लिए जनसंपर्क अभियान में सक्रिय हुए थे और ददई दुबे से भी मिलने पहुंचे थे लेकिन ये उनके निजी कार्यक्रम थे। पार्टी की ओर से सहाय को कोई असाइनमेंट नहीं दिया गया है। इस बीच, सूचना है कि कार्यकारी अध्यक्ष मानस सिन्हा को मना लिया गया है और वे अगले चरणों में पार्टी के लिए सक्रिय होंगे।
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल होने के बाद भी झारखंड आने से इन्कार कर दिया है। इससे पहले ही कांग्रेसियों का मनोबल टूटा है। हालांकि पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बार झारखंड आने का भरोसा दिया है। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के विदेश दौरे के कारण झारखंड चुनाव में उनके आने की संभावनाएं भी न के बराबर है।