लखनऊ। स्टुडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) की तरह ही पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) पर भी सवाल उठ रहे हैं। अब सिमी की तरह ही इस संगठन को भी प्रतिबंधित करने की कसरत शुरू हो चुकी है। कुछ प्रकरण सामने आने पर छह माह पहले योगी सरकार के गृह विभाग ने केंद्र सरकार को प्रतिबंध संबंधी पत्र लिखा था। अब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुई हिंसा की आंच इस संगठन पर आने के बाद मंगलवार को गृह विभाग ने केंद्र को रिमाइंडर भेजा है।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में हिंसा हुई। पीएफआइ के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत तीन सदस्यों की लखनऊ में गिरफ्तारी के बाद इस संगठन का अन्य जिलों में नेटवर्क खंगालना पुलिस ने शुरू किया। सूत्रों के अनुसार, पुलिस को पीएफआइ सदस्यों की खास कर पश्चिमी उप्र में सक्रियता के साक्ष्य मिले। पहले भी आपत्तिजनक और भड़काऊ पोस्टर चस्पा करने आदि मामलों में दर्ज मुकदमों का रिकॉर्ड खंगाला गया।
पिछले दिनों पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने बताया था कि छह माह पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर पीएफआइ पर प्रतिबंध की सिफारिश की जा चुकी है। इस ङ्क्षहसा में संगठन का नाम सामने आया। यह भी पता चला कि इसमें प्रतिबंधित हो चुके संगठन सिमी के भी सदस्य सक्रिय हैं, इसलिए रिमाइंडर भेजने का फैसला किया गया।
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि डीजीपी की ओर से पीएफआइ पर प्रतिबंध संबंधी सिफारिशी पत्र आया था। वह स्मरण पत्र (रिमाइंडर) के रूप में केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है। संगठन पर प्रतिबंध का निर्णय केंद्र से ही हो सकता है।