लखनऊ। चार दिवसीय डिफेंस एक्सपो उत्तर प्रदेेेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार से शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बटन दबाकर डिफेंस एक्सपो 2020 का उद्घाटन किया। रक्षा उपकरणों के कारोबारियों के इस चार दिवसीय समागम में 70 से ज्यादा देशों की 1028 कंपनियां अपने उत्पादों और तकनीकों का प्रदर्शन कर रही हैैं। इनमें 856 भारतीय और 172 विदेशी कंपनियां हैं। इस चार दिवसीय आयोजन में 39 देशों के रक्षा मंत्री भी शिरकत कर रहे हैं।
-पीएम मोदी ने कहा कि डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में भारत की आत्म निर्भरता का एक और महत्वपूर्ण पहलू है, हम पर मानवता को भी सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। खुद के साथ-साथ पड़ोस के मित्र देशों को भी सुरक्षा देने का दायित्व हम पर है। हम पर सुरक्षा से जुड़ी तमाम चुनौतियां हैं। रक्षा उत्पाद को लेकर हमारी सोच किसी दूसरे देश के खिलाफ नहीं है। भारत हमेशा से ही विश्व शांति का भरोसेमंद पार्टनर रहा है। भारत दुनिया का एक प्रमुख एयरोस्पेस रिपेयर और ओवरहाउल हब बनाने की क्षमता रखता है। भारत में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में असीमित संभावनाएं हैं। यहां टैलेंट है और टेक्नोलाजी भी है। यहां इनोवेशन है और इन्फ्रास्ट्रक्चर भी है।
-पीएम मोदी ने कहा कि हमने आइडीइएक्स के विचार को बढ़ावा देने के लिए 200 नए स्टार्ट-अप का लक्ष्य रखा है। हम पहल के तहत कम से कम 50 नई तकनीक का उत्पादन करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा, स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए सहयोगी शैक्षिक अनुसंधान के लिए डीआरडीओ में काम जारी है। भारत दुनिया का एक प्रमुख एयरोस्पेस रिपेयर एंड ओवरहाल हब बनाने की क्षमता रखता है। भारत बाहरी अंतरिक्ष में अपने हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक क्षमताओं की खोज कर रहा है। बाहरी अंतरिक्ष में भारत की उपस्थिति मजबूत रही है और आगामी वर्षों में इसे और मजबूत किया जाएगा। डिफेंस-एक्सपो का यह संस्करण न केवल भारत में, बल्कि दुनिया में सबसे बड़ी प्रदर्शनियों में से एक है। जो लोग अर्थव्यवस्था और रक्षा को समझते हैं, वे जानते हैं कि भारत केवल एक बाजार नहीं है, बल्कि एक बड़ा अवसर भी है।
-पीएम मोदी ने कहा कि हम अगले पांच वर्षों में 1500 से अधिक रक्षा क्षेत्र में एमएसएमईएस की संख्या लेना चाहते हैं। 2018 के डिफेंस एक्सपो में, आइडीइएक्स (डिसेंट्रालाइजड एथेरियम एसेट एक्सचेंज) शुरू किया गया था। भारतीय रक्षा संगठन के स्टार्ट-अप, एमएसएमई, व्यक्तिगत इनोवेटरों को जोड़ने के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का लक्ष्य था। स्पेस तकनीक के मामले में भारत की रुचि वॉर-फेयर के लिए नहीं, वेलफेयर के लिए है। मुझे गर्व है कि इस मामले में भारत ने स्वदेशी तकनीक का विकास किया है। आज इसरो भारत के लिए, पूरी दुनिया के लिए, आउटर स्पेस को एक्सप्लोर कर रहा है, तो भारत का डीआरडीओ इन एसेट्स को गलत ताकतों से बचाने के लिए डिफेंस की दीवार खड़ी कर रहा है।
-पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत में दो बड़े डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें से एक तमिलनाडु में और दूसरा यहीं उत्तर प्रदेश में हो रहा है। अगले 5 वर्षों में यहां 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य है। यूपी के डिफेंस कॉरिडोर के तहत यहां लखनऊ के अलावा अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट और कानपुर में नोड्स स्थापित किए जाएंगे। वैसे यहां पास में ही अमेठी के कोरबा में इंडो रसियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के बारे में आपने जरूर सुना होगा।
-पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार, डिफेंस सेक्टर में एफडीआई नियमों को भी आसान किया गया है। अब डिफेंस सेक्टर में 100 प्रतिशत एफडीआई का रास्ता साफ हुआ है, जिसमें से 49 प्रतिशत ऑटोमेटिव रूट से संभव हो सकता है। बीते 5 वर्षों डिफेंस सेक्टर में 1700 करोड़ के एफडीआई आने का रास्ता साफ हुआ है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के बनने से डिमांड और मैन्यूफैक्चरिंग की प्रक्रिया और आसान होने वाली है। इसका निश्चित लाभ डिफेंस सेक्टर्स से जुड़े उद्योगों को होगा और इस सेक्टर में इन्वेस्ट करने के इच्छुक आप सभी इंवेस्टर्स को होगा।
-पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार चाहती है कि डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग सिर्फ सरकारी संस्थानों तक सीमित न हो, बल्कि इसमें निजी क्षेत्र की भी बराबर की साझेदारी हो। मैं समझता हूं कि उपयोगकर्ता और उत्पादक यानि यूजर और प्रोड्यूसर के बीच भागीदारी से राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक शक्तिशाली बनाया जा सकता है। मुझे लगता है कि उपयोगकर्ता और निर्माता के बीच एक साझा संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा को लाभ देगा। भारत और विदेश दोनों से निजी क्षेत्र की कंपनियां इसमें योगदान कर सकती हैं।