लखनऊ। कोरोना संकट से संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को बचाव के लिए दी जाने वाली पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (PPI) किट की घटिया सप्लाई मामले में उप्र मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के कई अफसर नप सकते हैं। एसटीएफ की ओर से की जा रही शुरुआती जांच में आला अधिकारियों की भूमिका पर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। साथ ही कोरोना के लिए जरूरी सामानों के लिए बनी प्रोक्योरमेंट कमेटी की सिफारिश पर पीपीई किट खरीदी गई थी उसके अधिकारियों की भूमिका पर भी संदेह गहरा रहा है। पूरे मामले को देखते हुए, शासन के विशेष सचिव शत्रुंजय कुमार सिंह ने नाराजगी जताई है। साथ ही उप्र मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के एमडी को पत्र लिखकर इसमें शामिल सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तय करने को कहा है।
पीपीई किट के लिए निजी एजेंसी ने टेंडर लेने के लिए जो सैंपल जमा किया उसमें नॉर्मल शू कवर और नॉर्मल हुड कवर था। वहीं, एजेंसी को जो किट सप्लाई हुई उसमें शॉर्ट शू कवर और शार्ट हुड कवर दिया। इसके बावजूद भी अधिकारियों ने सैकड़ों डॉक्टरों की जिंदगी दांव पर लगाते हुए घटिया किट इस्तेमाल के लिए मेडिकल कॉलेजों में भिजवा दी। एसटीएफ की शुरुआती जांच में मिलीभगत की आशंका भी जताई जा रही है।
शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक टेंडर के बाद एजेंसी ने कुछ सही किट सप्लाई की लेकिन अंतिम खेप में भेजी गई 5000 किट मानकों के मुताबिक नहीं थी। रिपोर्ट में इस बात पर नाराजगी जतायी गई है कि सप्लाई हुई किट को बिना जांचें अधिकारियों ने उसे मेडिकल कॉलेजों में कैसे भेज दिया।
पीपीई किट में हुई गड़बड़ी को लेकर टेंडर की तारीख 29 अप्रैल तक के लिए बढ़ानी पड़ी। उप्र मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन ने पीपीई किट और दवाओं के लिए निविदा निकाली थी, जिसकी अंतिम तारीख 27 अप्रैल थी जबकि पिछले दो दिनों से ऑन लाइन टेडर की वेबसाइट ही नहीं खुल रही थी। इसके चलते सोमवार को सुबह से ही इसके पीछे अधिकारियों की मिलीभगत और चहेती एजेंसियों को फायदा पहुंचाने की अटकलें लगती रहीं. इसके बाद हुई शिकायत के बाद अधिकारियों ने तकनीकी खामी का हवाला देते हुए टेंडर की तारीख 29 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी।
कारपोरेशन के अधिकारियों की मानें तो ऑन लाइन टेंडर के लिए दिए गए लिंक पर एक बार क्लिक करने पर साइट नहीं खुल रही थी. जबकि राइट क्लिक करके इसे खोला जाना था।प्रोक्योरमेंट कमेटी में शामिल चिकित्सा शिक्षा के सचिव मार्केडेज शाही, महानिदेशक केके गुप्ता, विशेष सचिव धीरेंद्र कुमार सचान, सदस्य श्रीश सिंह और वित्त नियंत्रक कृपा शंकर पांडेय ने दिल्ली की एक कंपनी का नाम फाइनल करते हुए उप्र मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन लिमिटेड से किट खरीदवा ली।
कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए जो पीपीई किट भेजी गई थी, वह घटिया क्वालिटी की थी. 16 अप्रैल को इसका खुलासा करते हुए मेरठ मेडिकल कॉलेज समेत कई कॉलेजों ने किट इस्तेमाल करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक ने किट के उपयोग पर रोक लगा दी थी। फिलहाल पूरे मामले की जांच एसटीएफ ने शुरू कर दी है।जिसमें कई अफसरों की भूमिका जांच के दायरे में है