भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा चार उपचुनाव क्षेत्रों की समीक्षा बैइक पूर्ण हो चुकी हैं। इन बैठकों से जो फीडबैक मिला है उसके अनुसार कमलनाथ कांग्रेस में बड़ी सर्जरी करने की तैयारी में हैं। खंडवा पृथ्वीपुर और जोबट में नकारा साबित हुए प्रभारियों और पदाधिकारियों को हटाए जाने के स्पष्ट संकेत हैं। इसके अलावा उन नेताओं पर भी गाज गिर सकती है जिन्होंने चुनाव के दौरान भितरघात किया। इस संबंध में पराजित प्रत्याशियों से मिली जानकारी के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। कमलनाथ यह भी चाहते हैं कि पंचायत चुनाव से पूर्व पार्टी में बड़े पैमाने पर बदलाव कर युवाओं को जिम्मेदारी दी जाए। इसके लिए ब्लूप्रिंट बन रहा है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की सर्जरी में सबसे अधिक नुकसान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समर्थकों का होगा। इन समर्थकों पर गाज गिर सकती है। कमलनाथ करीब 15 जिला अध्यक्षों को भी बदल सकते हैं। इस संबंध में भी लगातार विचार-विमर्श चल रहा है। कमलनाथ को सोनिया गांधी की ओर से पहले ही फ्री हैंड मिल चुका है। चुनाव परिणामों के तुरंत बाद कमलनाथ दिल्ली में जाकर सोनिया गांधी को चुनाव परिणामों के संबंध में जानकारी दे चुके हैं तथा अपनी ओर से उन्होंने सफाई भी दी है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के पास मध्यप्रदेश में कमलनाथ के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में 2023 तक कमलनाथ की ही सत्ता कांग्रेस में चलने वाली है। उपचुनाव में कांग्रेस खंडवा जोबट और पृथ्वीपुर में हारी है, लेकिन पृथ्वीपुर के पराजित प्रत्याशी नितेन्द्र सिंह राठौर में किसी भी कांग्रेस नेता को शिकायत नहीं की है जबकि खंडवा के पराजित प्रत्याशी राज नारायण सिंह और जोबट के पराजित प्रत्याशी महेश पटेल ने कांग्रेस के कई बड़े नेताओं पर खुलकर आरोप लगाए हैं। राज नारायण सिंह का कहना है कि अरुण यादव के समर्थकों ने मुंह दिखाई की। यादव के अधिकांश समर्थक घर बैठ गए। इसका नुकसान पार्टी को हुआ। अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच भ्रम फैलाया गया इस कारण उनका मतदान 45 फीसदी ही हुआ जबकि सामान्यत: 65 से 70 फीसदी अल्पसंख्यक मतदान होता है। इसका नुकसान भी कांग्रेस को हुआ। अरुण यादव और उनके अनुज सचिन यादव से कमलनाथ भी खफा हैं। अरुण यादव कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं इसलिए उन पर कार्रवाई करने का अधिकार प्रदेश कांग्रेस को नहीं है लेकिन इतना तय है कि कमलनाथ दोनों यादव बंधुओं को हाशिए पर डालने की कोशिश करेंगे। जोबट में भी महेश पटेल ने कांतिलाल भूरिया, डॉ. विक्रांत भूरिया और दीपक भूरिया पर आरोप लगाए हैं। महेश पटेल के समर्थकों ने खुलेआम डॉ. विक्रांत भूरिया का प्रदेश युवा कांग्रेस पद से हटाने की मांग तक कर डाली है। महेश पटेल को दिग्विजय सिंह का समर्थक माना जाता था लेकिन उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री सिंह के ही समर्थकों पर भितरघात का आरोप लगाए हैं। कमलनाथ के समख अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह पार्टी को किस तरह से एकजुट रखते हैं।