लखनऊ । सृजन शक्ति वेल्फेयर सोसाइटी, लखनऊ के तत्त्वावधान में प्रसिद्ध कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की 84वीं पुण्य तिथि की पूर्व संध्या पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी कहानियों पर आधारित श्री के के अग्रवाल द्वारा रचित नाटक “जीवन यात्रा” का लोकार्पण यूपी प्रेस क्लब में नगर के वरिष्ठ रंगकर्मियों एवं साहित्यकारों द्वारा किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि श्री महेन्द्र मोदी आईपीएस, डीजी, विशेष जाँच एवं अध्यक्ष डाॅ उर्मिल कुमार थपलियाल थे।
विशिष्ट अतिथियों के रूप में नगर के वरिष्ठ रंगकर्मियों, सर्वश्री डॉ अनिल रस्तोगी, हेमेंद्र भाटिया, आतमजीत सिंह, सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ, पुनीत अस्थाना एवं गोपाल सिन्हा ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
अपने स्वागत भाषण में महासचिव डॉ सीमा मोदी ने कहा कि इस नाटक के प्रकाशन के पूर्व संस्था ने दिनांक 31 जुलाई को इसका सफल मंचन भी किया है। इसके पहले भी सृजन शक्ति वेल्फेयर सोसाइटी मुंशी प्रेमचंद की कहानियों; लांछन, बूढ़ी काकी, मंदिर,पंडित मोटेराम शास्त्री एवं सद्गति का मंचन कर चुकी है , रास्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी। नाटक के लेखक वरिष्ठ रंगकर्मी इं० के के अग्रवाल ने कहा कि “जीवन यात्रा” के माध्यम से उन्होंने भारतीय ग्रामीण जीवन में एक छोटे किसान के संघर्ष को समग्रता में चित्रित करने का प्रयास किया है। “जीवन यात्रा” एक दलित किसान हल्कू की कहानी है जो कठोर परिश्रम और भरपूर प्रयास के बाद भी अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी नहीं जुटा पाता। उसकी पत्नी मुन्नी बार-बार यह प्रश्न करती है कि जब परिवार पालने के लिए मजदूरी का सहारा लेना पड़ता है तो फिर ऐसी खेती करने का लाभ क्या है? ग़रीबी की स्थिति यह है कि वह पूस की भयंकर सर्दी से बचने के लिए अपने बच्चों के लिए एक कम्बल भी नहीं खरीद सकता। पूस की एक रात को जब नीलगाय पूरा खेत नष्ट कर देती है और हल्कू पत्ते इकठ्ठे कर के जलाई गई आँच के पास सोता रह जाता है तब वह खेती छोड़ने का निश्चय कर लेता है। अब हल्कू घास बेच कर परिवार का भरण-पोषण करता है। खेत बेच कर भी उसकी आर्थिक स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं आता। इन्हीं परिस्थितियों में वह गांव के पण्डित जी के पास अपनी लड़की की शादी के लिए कोई शुभ तिथि पूछने के लिए जाता है तो वह उससे इतनी अधिक बेगार करवाते हैं कि काम करते-करते उसकी मृत्यु हो जाती है। अंत में उसकी विधवा पत्नी अपने बीमार छोटे बच्चे की जान की रक्षा के लिए मंदिर में प्रार्थना करने जाती है तो गाँव के सवर्ण एवं पुजारी मिलकर उसे दुत्कारते हैं और मंदिर में प्रवेश नहीं करने देते। यहाँ तक कि गांव वालों द्वारा की गई मारपीट में छोटा बच्चा मर जाता है और हल्कू की विधवा विलाप करती रह जाती है।
इस मार्मिक नाटक पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी एवं फिल्म अभिनेता डॉ अनिल रस्तोगी ने कहा कि उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की तीन कहानियों को जोड़कर पूर्णकालिक नाटक बनाने का यह पहला प्रयोग है। श्री गोपाल सिन्हा, जो इस कार्यक्रम का संचालन भी कर रहे थे, का मानना था कि मुंशी प्रेमचंद जी के विचार इस नाटक के माध्यम से और सशक्त रूप में प्रस्तुत होते हैं। श्री हरीश बड़ोला ने कहा कि नाटक दर्शकों के मन की गहन अंतर्चेतना को झकझोरने में पूर्णतः सफल है। श्री सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद ग़रीबों, दलितों और किसानों के शोषण के विरुध्द निरंतर अपनी लेखनी चलाते रहे। उनकी कहानियों पर इस प्रकार के प्रयोग समाज के लिए हितकर हैं। प्रोफेसर नलिन रंजन सिंह का मत था कि प्रेमचंद-साहित्य में ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि पर लिखी कहानियों का विशेष महत्व है और यह तथ्य इस नाटक में भी स्पष्ट परिलक्षित होता है।
समारोह के अध्यक्ष डॉ उर्मिल कुमार थपलियाल ने कहा कि नाटक “जीवन यात्रा” के प्रकाशन से पूर्व इस पर नाटककारों के मध्य चर्चा हुई और इसके बाद इसका अत्यंत सफल मंचन भी हुआ। इस तरह साहित्य जगत को एक सशक्त नाटक प्राप्त हुआ है जिसके अनेक प्रदर्शन होने चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री महेन्द्र मोदी डाइरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस व जल गुरु ने बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने श्री अग्रवाल द्वारा रूपांतरित एवं निर्देशित मुंशी प्रेमचंद जी की अन्य कहानियों का सफल एवं प्रभावशाली मंचन भी देखा है जिसे दर्शकों की वाहवाही मिली है। उनके इस कार्य को भरपूर सहयोग और प्रोत्साहन मिलना चाहिए।
इस भव्य समारोह में रंगकर्मियों के अतिरिक्त नगर के अनेक साहित्यकारों ने भी भाग लिया जिनमें इं० देवकी नन्दन शान्त, के के अस्थाना, उदयभान पाण्डेय एवं विपिन कान्त , वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र सिंह , वरिष्ठ रंगकर्मी ओ पी अवस्थी , प्रदीप श्रीवास्तव , आलोक श्रीवास्तव ,आकाश
पांडेय ,अभिषेक सिंह कपिल तिलहरी , यूसुफ खान , जितेंद्र टीटू , अभिनव तिवारी , एंकर जितेश श्रीवास्तव , अभिषेक , नितिन जायसवाल, दुर्गेश पांडेय , आयुष ,प्रत्यूष ,के नाम उल्लेखनीय हैं। अंत में संस्था के अध्यक्ष श्री बी एन ओझा ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।