दिवाली का उत्सव पूरे देश में प्रारंभ हो गया है। हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, लंका विजय करने के बाद भगवान श्रीराम जब अयोध्या पहुंचे थे, तब पूरे नगर को दीप मालाओं से सजाया गया था। उसके उपलक्ष्य में ही हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाते हैं। इस वर्ष दिवाली 04 नवंबर दिन गुरुवार को है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा इस मुहूर्त में करें और दीपक कब जलाएं।
काशी हिंदू विश्र्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रो. के अनुसार, दीपावली चार नवंबर को है। इस अमावस्या में महानिशीथ काल मिल रहा है। दिवाली पर दीप प्रज्वलित करने के लिए प्रदोष काल (शाम 5.19 बजे से शाम 7.53 बजे तक) शुभ है।
दिवाली पूजा के लिए शुभ मुहूर्त स्थिर लग्न वृश्चिक में शाम 7.26 से 9.43 बजे तक है, कुंभ स्थिर लग्न दिन 1.36 से 3.07 बजे तक है। वृष स्थिर लग्न में शाम 6.12 बजे से रात 8.08 बजे तक है। स्थिर लग्न में पूजा करना लाभदायक है। महानिशीथ काल की पूजा मध्य रात्रि 12.40 से दो बजे तक की जा सकती है।
दिवाली 2021 का पंचांग
दिन: गुरुवार, कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष, अमावस्या तिथि।
दिशाशूल: दक्षिण।
पर्व एवं त्योहार: दिवाली, कार्तिक अमावस्या।
सिंह लग्न: रात्रि के 12:20 बजे से रात्रि 02:34 बजे तक।
महानिशीथ काल: रात्रि के 11:19 बजे से 12:11 बजे तक।
विक्रम संवत 2078 शके 1943 दक्षिणायन, दक्षिणगोल, शरद ऋतु कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या 26 घंटे 45 मिनट तक, तत्पश्चात् प्रतिपदा चित्रा नक्षत्र 07 घंटे 43 मिनट तक, तत्पश्चात् स्वाती नक्षत्र प्रीति योग 11 घंटे 10 मिनट तक, तत्पश्चात् आयुष्मान योग तुला में चंद्रमा।
दिवाली 2021 शुभ समय
प्रीति योग: आज दिन में 11 बजकर 11 मिनट तक। उसके बाद आयुष्मान योग प्रारंभ होगा।
अभिजित मुहूर्त: आज दिन में 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से दोपहर 02 बजकर 38 मिनट तक।
अमृत काल: आज रात 09 बजकर 16 मिनट से रात 10 बजकर 42 मिनट तक।
दिवाली के दिन आपको माता लक्ष्मी और गणेश जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। माता लक्ष्मी की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और वैभव प्राप्त होगा। इस दिन कोई नया कार्य करना चाहते हैं तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें।