उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ FIR दर्ज हुई है। मुरादाबाद के एक होटल में पत्रकारों की पिटाई के मामले में अखिलेश समेत समाजवादी पार्टी के 20 अज्ञात कार्यकर्ताओं को आरोपी बनाया गया है। 11 मार्च को मुरादाबाद के एक होटल में अखिलेश की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों से मारपीट की घटना हुई थी।
एफआईआर आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 342 (गलत तरीके से रोकना), और 323 (चोट पहुंचाने) के तहत दर्ज की गई है।
व्यक्तिगत सवाल पूछने पर हुआ था विवाद
अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान व्यक्तिगत सवाल पूछे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री भड़क गए थे। इस दौरान समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और अखिलेश यादव के सुरक्षाकर्मियों से पत्रकारों की बहस हो गई। इस बीच कुछ सपा कार्यकर्ताओं और सुरक्षाकर्मियों और पत्रकारों के बीच हाथापाई हुई थी।
मामले में मुरादाबाद के पत्रकारों ने मीटिंग कर घटना की निंदा करते हुए जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग की थी। पत्रकारों ने मुरादाबाद के एसएसपी को अखिलेश यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए एक प्रार्थना पत्र दिया था। इसके बाद हमले की जांच के आदेश मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने पुलिस को दे दिए थे।
बीजेपी के नेताओं ने अखिलेश पर साधा निशाना
उत्तर प्रदेश के विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने पत्रकारों पर हुए हमले की निंदा करते हुए अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जो लाल टोपी लगाते हैं, लोग उनसे सतर्क रहें।पाठक ने कहा कि जिस तरह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में उनके सुरक्षा कर्मियों व कार्यकर्ताओं ने पत्रकारों को पीटा, उसकी जितनी निंदा की जाए वह कम होगी। घटना में कई पत्रकारों को गंभीर चोटें आई हैं। यह लोकतंत्र के चौथे खंभे पर सीधा हमला है। सपा के लिए यह कोई नई बात नहीं है। प्रदेश में जब-जब समाजवादी पार्टी की सरकार रही है, तब-तब लोकतंत्र के चौथे खंभे पर हमले हुए हैं।