बस्ती। भले ही सरकार ऑनलाइन सिस्टम के जरिए व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में जुटी है। लेकिन विभागीय जिम्मेदार सरकार की इस योजना को कैसे पलीता लगा रहे हैं। इसकी बानगी जिले में पीडब्ल्यूडी विभाग में आसानी से देखी जा सकती है। अधिकारी किसी तरह मनमाने ढंग से ई-टेंडर के लिए ठेकेदारों के अभिलेखों में पात्रता व अपात्रता तय कर चहेतों को काम बांट रहे हैं।
दरअसल, पीडब्ल्यूडी विभाग में आन लाइन टेंडर की प्रक्रिया लंबे समय से जारी है। पात्रता के मानक भी तय किए गए हैं लेकिन इन मानकों को अधिकारियों ने मनमाने ढंग से परिभाषित कर चहेतों को काम बांट रहे हैं। पिछले दिनों करीब 50 करोड़ के ठेके के मामले में यह बात सामने आई है। इसमें संबंधित फर्म ने सबसे कम रेट डाला। फर्म के अभिलेख भी दुरुसत थे लेकिन उसे काम टेंडर नहंी मिला। जिम्मेदारों ने खेल कर यह काम चहेतों को दे दिया। हालांकि संबंधित फर्म के प्रोपराइटर ने दबी जुबान बात कही लेकिन अधिकारियों के दबाव में चुप्पी साध ली। यह तो महज बानगी है। लंबे समय से विभाग में इस खेल को जिम्मेदार अंजाम दे रहे हैं। खबर तो यह भी है कि राजधानी के भी एकाध जिम्मेदार इस पूरे खेल में शामिल हैं। सूत्र तो बताते हैं कि इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले ठेकेदारों को चुप रहने के एवज में छिटपुट काम भी दे दिया जाता है।
पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता रामानंद राम ने कहा कि ई-टेंडरिंग में खेल का आरोप निराधार है। ठेकेदार इसकी शिकायत करते हैं जिनके टेंडर पात्रता में फेल हो जाते हैं। सभी काम शासन के तय पात्रता मानक के अनुसार ही दिए जाते हैं। ई-टेंडरिंग प्रक्रिया में सबसे पहले पात्रता देखी जाती है।