पीयूष गोयल ने पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों पर बोला हमला
नई दिल्ली। पिछले करीब 45 दिनों से जारी लाॅकडाउन में विभिन्न राज्यों में प्रवासी मजदूर फंसे हुए थे। लाखों मजदूर जैसे-तैसे अपने घर पहुंच चुके हैं। जबकि अभी भी लाखों गरीब मजदूर देश भर के बड़े शहरों में अपने घरों से दूर विपरीत हालात का सामना कर रहे हैं। इन प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुँचाने के लिए भारतीय रेलवे ने 1 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को संचालन शुरू किया है। लेकिन कई राज्य प्रवासी मजदूरों की ‘घर वापसी’ में रोड़े अटका रहे हैं।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ऐसे राज्यों का नाम लेते हुए आड़े हाथ लिया है। रेल मंत्री ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को उनके घर पहुँचाने के लिए 1200 टेनें तैयार खड़ी हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व झारखंड सरकारें अपने राज्यों में पर्याप्त ट्रेनों के संचालन की अनुमति नहीं दे रही हैं। रेल मंत्री ने कहा, पीएम मोदी के निर्देश पर हमने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए 1200 टेनें रिजर्व की हैं। ताकि यह गरीब मजदूर जल्द से जल्द अपने घर पहुंच सकें। लेकिन कई राज्य बहुत कम टेनों को परमिशन दे रहे हैं। जिससे इस कार्य में समय लग रहा है।
रेल मंत्री ने इस मामले में उत्तर प्रदेश व बिहार की तारीफ भी की है। पीयूष गोयल ने कहा, यूपी व बिहार में अभी तक 400 व 200 टेनें रवाना हो चुकी हैं। यहां की सरकारें अपने कामगारों की सुविधा के प्रति संवेदनशील हैं।
पश्चिम बंगाल सरकार पर ज्यादा नाराज दिखे गोयल
रेल मंत्री सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर नाराज दिखे। रेल मंत्री ने कहा, पश्चिम बंगाल सरकार राज्य की ओर लौट रहे अपने प्रवासी मजदूरों को कोई सुविधा देने को तैयार नहीं है। राज्य सरकार ने केवल सात विशेष श्रमिक ट्रेनों की अनुमति दी है, जबकि उत्तर प्रदेश ने अभी तक ऐसी 400 ट्रेनों के लिए मंजूरी दी है।
रेल मंत्री गोयल ने बताया कि है कि पश्चिम बंगाल सरकार और अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए मंजूरी देने की उनकी अपील पर कोई जवाब नहीं दिया है। रेल मंत्री ने कहा, पश्चिम बंगाल को रोजाना 105 ट्रेनें संचालित करने की जरूरत है। लेकिन ममता सरकार गहरी नींद में सो रही है। यह पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों के साथ क्रूरतापूर्ण मजाक है कि वहां की सरकार उन्हें घर पहुंचने की सुविधा नहीं दे रही।
छत्तीसगढ़ सरकार ने सिर्फ सात ट्रेनों को मंजूरी
बता दें कि केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा था कि अभी तक उत्तर प्रदेश ने मजदूरों को ले जाने के लिए 386 ट्रेनों की मंजूरी दी है, जबकि बिहार और मध्य प्रदेश ने क्रमशः 204 और 67 ट्रेनों के लिए स्वीकृति दी है। वहीं, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल ने केवल सात-सात ट्रेनों के लिए मंजूरी दी है।