राजधानी में दक्षिण अफ्रीका के कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन का पहला संदिग्ध मरीज मिला है। रोगी को लोकनायक अस्पताल में बनाए गए विशेष वार्ड में रखा गया है। बृहस्पतिवार को केरल का रहने वाला एक व्यक्ति दक्षिण अफ्रीका से दिल्ली लौटा। एयरपोर्ट पर जांच में वह संक्रमित पाया गया। एहतियात बरतते हुए उसे लोकनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया।
यहां सैंपल लेकर जीनोम जांच के लिए एनसीडीसी लैब भेजा गया है। वहां जांच के बाद ही नए स्ट्रेन की पुष्टि हो सकेगी। मरीज की रिपोर्ट शनिवार सुबह तक आने की संभावना है। फिलहाल रोगी में संक्रमण के हल्के लक्षण है। सरकार की और से निर्धारित दिशा-निर्देश के मुताबिक उसका इलाज किया जा रहा है।
डॉक्टरों के मुताबिक, यह स्ट्रेन ब्रिटेन में मिले स्ट्रेन से घातक साबित हो सकता है, हालांकि इसको लेकर अभी तक कोई वैज्ञानिक तथ्य सामने नहीं आए हैं। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि दक्षिण अफ्रीका का स्ट्रेन उन लोगों को फिर से संक्रमित कर सकता है जो कोविड की चपेट में आकर ठीक हो चुके हैं।
ब्रिटेन के स्ट्रेन के मरीजों का भी लोकनायक में हुआ इलाज
लोकोनायक अस्पताल में यूके, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में मिले नए संक्रामक कोरोना वायरस वाले मरीजों और संदिग्धों के लिए 100 बेड की क्षमता वाले अलग वार्ड बना हुआ है। इससे पहले यहां ब्रिटेन में पाए गए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा चुका है।
नए स्ट्रेन का असर
दरअसल कोरोना वायरस को लेकर अब तक दुनिया के कई देशों में अलग-अलग स्ट्रेन मिल चुके हैं। समय और तापमान के अनुसार कोरोना वायरस की आनुवांशिक संरचना में आए बदलावों को स्ट्रेन से पहचाना जाता है। भारत में अब तक 250 से ज्यादा ऐसे मरीजों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें कोरोना वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन मिले हैं।
दिल्ली में पांच तरह के वायरस
आईसीएमआर के अनुसार देश में अभी 19 तरह के स्ट्रेन मौजूद हैं, जिनमें से अकेले दिल्ली में पांच तरह के म्यूटेशन देखे जा चुके हैं। पिछले वर्ष नवंबर माह में ब्रिटेन से आए नागरिकों में यूके स्ट्रेन मिला था जोकि 100 से भी ज्यादा देशों में अब तक फैल चुका है। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में फैले नए स्ट्रेन भी भारत में मिल चुके हैं लेकिन दिल्ली में अभी तक कोई भी मामला सामने नहीं आया है।
दक्षिण अफ्रीका के स्ट्रेन पर चल रहा अध्ययन
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने दक्षिण अफ्रीका में फैले इस नए स्ट्रेन को आइसोलेट करने में कामयाबी हासिल कर ली है। अब इस स्ट्रेन पर अध्ययन भी शुरू हो चुका है। इससे यह पता चलेगा कि भारत में कोविशील्ड और कोवाक्सिन टीका का असर दक्षिण अफ्रीका के स्ट्रेन पर होगा या नहीं? ठीक इसी तरह ब्राजील के स्ट्रेन को लेकर भी आइसोलेट पर अध्ययन चल रहा है।