तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सोमवार को लोकसभा में राम मंदिर पर सीजेआई रंजन गोगोई के फैसले को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। इस मामले पर अब संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कार्रवाई के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के फैसले और तत्कालीन सीजेआई पर अभद्र टिप्पणी करना एक गंभीर विषय है। इसको लेकर तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा पर उचित कार्रवाई करने पर विचार किया जा रहा है।
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान महुआ मोइत्रा ने उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश को लेकर एक टिप्पणी की। इसका भाजपा सदस्यों और सरकार की ओर से विरोध किया गया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने उनकी टिप्पणी पर आपत्ति जताई और कहा कि इस प्रकार का उल्लेख नहीं किया जा सकता। वहीं, भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने नियमों का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति व्यक्त की।
इस पर पीठासीन सभापति एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि अगर महुआ मोइत्रा की बात में कुछ आपत्तिजनक पाया जाता है तो उसे रिकॉर्ड में नहीं रखा जाएगा। मोइत्रा ने कहा था कि न्यायपालिका अब पवित्र नहीं रह गयी है। उन्होंने इसके बाद उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश को लेकर विवादित टिप्पणी की।
तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग सत्ता की ताकत, कट्टरता, असत्य को साहस कहते हैं। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने दुष्प्रचार और गलत सूचना फैलाने को कुटीर उद्योग बना लिया है। मोइत्रा ने कहा कि इनकी (सरकार की) सबसे बड़ी सफलता कायरता को साहस के रूप में परिभाषित करना है।
तृणमूल कांग्रेस सांसद ने कहा कि इस सरकार ने एकतरफा ढंग से नागरिकता संशोधन कानून बनाने का काम किया लेकिन काफी समय गुजर जाने के बाद भी इसके नियमों को अधिसूचित नहीं कर पायी। अर्थव्यवस्था का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि साल 2020 में भारत सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश रहा।
उन्होंने दावा किया कि दो वर्षो तक अर्थव्यवस्था में वृद्धि नहीं होगी। तीन विवादित कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए मोइत्रा ने कहा कि सरकार कृषि कानून लाई जबकि विपक्ष और किसान संगठन इन्हें किसान विरोधी बता रहे थे। उन्होंने कहा कि इन्हें बिना आम-सहमति और बिना समीक्षा किये लाया गया तथा बहुमत के बल पर लाया गया।