रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने सोना बेचने की खबर पर सफाई जारी करते ऐसी सभी खबरों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया है कि केंद्रीय बैंक ने हाल में 30 सालों में पहली बार अपने गोल्ड रिजर्व से सोने की बिक्री की है। आरबीआई ने रविवार को ट्वीट कर इन खबरों को गलत बताया है। रिजर्व बैंक ने मीडिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आरबीआई ने सोना बेचने और उसका व्यापार नहीं किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि साप्ताहिक सांख्यिकीय अनुपूरक (WSS) में दर्शाए गए मूल्य में उतार-चढ़ाव मासिक से साप्ताहिक आधार पर पुनर्मूल्यांकन की आवृत्ति में परिवर्तन के कारण होता है और यह सोने और विनिमय दरों के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर आधारित है।
गौरतलब है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि आरबीआई ने कुल 1.15 अरब का सोना बेचा है। रिजर्व बैंक के साप्ताहिक सांख्यिकीय पूरक के डाटा ऐनालिसिस से पता चला है कि इसने अपने बिजनेस ईयर की शुरुआत वाले महीने यानी जुलाई से 5.1 अरब का सोना खरीदा है और लगभग 1.15 अरब का सोना बेचा है।
धनतेरस पर देशभर में सोने की बिक्री 25 फीसदी घटी
महंगी धातुओं की खरीदारी के शुभ-मुहूर्त धनतेरस पर इस साल देशभर में करीब 30 टन सोने की बिक्री हुई, जो कि उम्मीद से ज्यादा है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) ने यह जानकारी दी। हालांकि, पिछले साल के मुकाबले इस साल बिक्री 25 फीसदी कम रही है।
आईबीजेए के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता ने कहा कि विगत वर्षों के दौरान धनतेरस पर भारत में करीब 40 टन सोने की खरीददारी होती थी, लेकिन इस साल सोने का दाम ऊंचा रहने और बाजार में तरलता की कमी के कारण लिवाली 20 टन के आसपास रहने का अंदेशा जताया गया था। इस साल सोने की लिवाली पिछले साल से 25 फीसदी कमजोर रही।
ऊंचे दाम से उत्साह ठंडा
पिछले साल के मुकाबले इस साल सोने का भाव घरेलू बाजार में करीब सात हजार रुपये प्रति 10 ग्राम ऊंचा है। सोना महंगा होने के कारण खरीदारी नरम रही है। मेहता ने हालांकि, कहा कि कुछ दिन पहले इतनी खरीददारी होने का भी अनुमान नहीं था, क्योंकि घरेलू सरार्फा बाजार में ऊंचे भाव पर पीली धातु में मांग कमजोर देखी जा रही थी।
नकदी का अभाव
ऊंचे दाम के साथ उपभोक्ताओं के पास नकदी का अभाव भी उन्हें जमकर खरीददारी करने से रोक रहा है। मेहता का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव इस साल तेज रहने और भारत में महंगी धातुओं पर आयात शुल्क बढ़ जाने के कारण घरेलू सरार्फा बाजार में दाम काफी उंचा हो गया है, जबकि लोगों के पास नकदी का अभाव है। इसलिए त्योहारी सीजन के आरंभ में सोने में मांग कमजोर देखी जा रही थी। हालांकि, विगत तीन-चार दिनों में खरीददारी ने जिस प्रकार जोर पकड़ा है उससे इस धनतेरस पर सोने की लिवाली उम्मीद से अधिक रही। इस माह की शुरुआत में मेहता ने कहा था कि कमजोर मांग के कारण इस साल लगता है कि धनतेरस पर देशभर के सरार्फा बाजार में बमुश्किल से 20 टन सोना बिक पाएगा।
बैंक में निवेश से मोहभंग
केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि पीएमसी बैंक में घोटाले उजागर होने के बाद बैंकिंग स्कीमों में निवेश के प्रति छोटे निवेशकों का विश्वास कम हुआ है, जिससे सोने और चांदी जैसी महंगी धातुओं में निवेश के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। उनका कहना है कि यही वजह से है कि उपभोक्ताओं ने उद्योग की उम्मीद से ज्यादा सोना खरीदा है और यह बात अलग है कि पिछले साल के मुकाबले खरीददारी कम रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में सोना निवेश का बेहतर विकल्प बना हुआ है। एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट (करेंसी एंड एनर्जी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ दिनों के दौरान भारतीय मुद्रा रुपये में डॉलर के मुकाबले मजबूती आई है, जिससे घरेलू सरार्फा बाजार में महंगी धातु की मांग को सपोर्ट मिला है। हालांकि सोने में इस साल बेहतर रिटर्न मिलने से पीली धातु में निवेश मांग बढ़ी है।
घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर हालांकि बीते सत्र में शुक्रवार को सोने का दिसंबर अनुबंध 77 रुपये की कमजोरी के साथ 38,275 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ लेकिन पिछले साल धनतेरस के मुकाबले भाव काफी उंचा है जब एमसीएक्स पर सोने की कीमत 31,702 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्ता में आने के बाद सोने का आयात कम करने के मकसद से नवगठित सरकार ने जुलाई में चालू वित्त वर्ष का पूर्ण बजट पेश करते हुए महंगी धातुओं पर आयात शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया जिससे देश में सोना महंगा हो गया है।