नई दिल्ली। बिना माल सप्लाई किए फर्जी तरीके से सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) लेने का अब तक का सबसे बड़ा मामला सामने आया है। इसके तहत 7,896 करोड़ रुपये के फर्जी बिल बनाए गए और उस आधार पर सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट के नाम पर 1,709 करोड़ रुपये ले लिए। इस फर्जीवाड़े के लिए 23 मुखौटा कंपनियां बनाई गई थीं जिसके नाम पर यह फर्जीवाड़ा चल रहा था।
सेंट्रल टैक्स कमिश्नर (पश्चिमी दिल्ली) की तरफ से इस प्रकार के सबसे बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया गया। इस मामले में दो अभियुक्तों को गिरफ्तार भी किया गया है। इससे पहले भी इनपुट क्रेडिट टैक्स के नाम पर कई रैकेट का पर्दाफाश हो चुका है। माना जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद जीएसटी में गड़बड़ी का बड़ा मामला उजागर हो सकता है।
जीएसटी में धांधली की शिकायतें आती रही हैं, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर कोई मामला पहली बार सामने आया है। वित्त मंत्रलय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक 23 मुखौटा कंपनियों के नाम पर यह सारा खेल चल रहा था। अभियुक्त इन कंपनियों के खाते में खरीदारी दिखाते थे जबकि वास्तव में कोई खरीदारी नहीं की जाती थी। फिर उस नाम पर वे जीएसटी प्रणाली के तहत मिलने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा टैक्स विभाग में करते थे।
इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे को सही साबित करने के लिए वे बैंकिंग ट्रांजेक्शन भी करते थे। ताकि किसी प्रकार का कोई शक नहीं हो। ये लोग अपनी फर्जी कंपनी से खरीदारी करने वालों को बिल जारी करते थे और उस बिल के आधार पर फर्जी खरीदारी करने वाला इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करता था।
सूत्रों के मुताबिक, जीएसटी लागू होने के बाद से इस प्रकार की धोखाधड़ी आम हो चली है। निर्यात के मामले में इस प्रकार के मामले सामने आए जहां बिना किसी निर्यात के ही सरकार के इनपुट टैक्स क्रेडिट ले लिया गया। इसका मतलब यह हुआ कि निर्यातक ने सिर्फ कागज पर निर्यात किया और कच्चे माल की फर्जी खरीदारी के नाम पर सरकार से ही इनपुट टैक्स क्रेडिट के पैसे ले लिए।