काबुल। अफगानिस्तान में पिछले 18 वर्षो से जारी खूनी संघर्ष पर विराम लगने की उम्मीद बढ़ने लगी है। आतंकी संगठन तालिबान की कार्यकारी परिषद के ज्यादातर सदस्यों ने अफगानिस्तान में अस्थायी तौर पर संघर्ष विराम के पक्ष में सहमति दी है। हालांकि इस आतंकी संगठन ने संघर्ष विराम के बारे में अभी तक कोई एलान नहीं किया है।
टोलो न्यूज ने कतर में अमेरिका और तालिबान की शांति वार्ता के बारे में जानकारी रखने वाले एक सूत्र के हवाले से यह खबर दी है। इसमें बताया गया है कि संघर्ष विराम के बारे में अंतिम फैसला तालिबान के सरगना मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा को लेना है। हालांकि संघर्ष विराम पर किसी फैसले पर तालिबान की क्वेटा काउंसिल ने सवाल भी उठाया है। जबकि तालिबान के पूर्व सदस्य जलालुद्दीन शिनवारी ने कहा, ‘नेतृत्व के किसी भी फैसले का पालन किया जाएगा।’ इस बीच टोलो न्यूज ने यह भी बताया है कि अफगान नेता पिछले कुछ दिनों से इस मसले पर चर्चा कर रहे हैं कि तालिबान के साथ शांति वार्ता में भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडल को किस तरह गठित किया जाए।
यूएन ने की राजनीतिक हल निकालने की अपील
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव के अफगानिस्तान में विशेष प्रतिनिधि तदमिची यामामोटो ने सभी अफगान पक्षों से राजनीतिक समाधान निकालने और स्थायी संघर्ष विराम की अपील की है। साथ ही ¨हसा खत्म करने का भी आग्रह किया है।
अफगान युद्ध में गई एक लाख नागरिकों की जान
समाचार एजेंसी के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को बताया कि अफगानिस्तान में छिड़े संघर्ष में पिछले एक दशक में एक लाख से ज्यादा नागरिकों की जान गई। इस मुल्क में गत 18 साल से खूनी संघर्ष जारी है।